पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान कृष्ण बालपन में गोकुल में रहते थे जहां उनकी माता यशोदा उन्हें दिन में आठ बार भोजन करवाती थी। इस बार समस्त ग्रामवासी बहुत सारे पकवान बना कर इंद्र देव की आराधना कर रहे थे। तब श्रीकृष्ण ने पूछा कि यह सब क्या है और क्यों किया जा रहा है। तब नन्हे कृष्ण ने कहा कि वर्षा करवाना इंद्र देव का कार्य है यदि पूजा करनी है तो फिर गोवर्धन पर्वत की करनी चाहिए क्योंकि वही समस्त ग्रामीणों को फल-सब्जियां, औषधि, पशुओं का चारा, जलाऊ लकड़ी तथा अन्य सामान देते हैं। इस पर सभी को उनकी बात सही लगी और उन्होंने कृष्ण की सलाह मान कर गोवर्धन पर्वत की पूजा की।
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ऐसा करने से इंद्र देव नाराज हो गए और पूरे गोकुल को डुबोने के लिए तेज बारिश कर दी। उस समय कृष्ण ने अपनी एक अंगुली पर गोवर्धन पर्वत को उठा लिया और उसके नीचे सभी ग्रामीणों को सुरक्षित कर उनकी रक्षा की। सात दिन तक मूसलाधार वर्षा करने के बाद भी जब इंद्र उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाया तो स्वयं ही क्षमा मांग कर चला गया।ये है इस बार जन्माष्टमी पर पूजा का शुभ मुहूर्त, जानिए कैसे करें पूजा
क्या-क्या शामिल होता है 56 भोग मेंमान्यताओं के अनुसार 56 भोग में 20 तरह की मिठाईयां, 20 तरीके के ड्राई फ्रूट्स, 16 तरह के नमकीन पकवानों को शामिल किया जाता है। इनमें मुख्य तौर पर माखन-मिश्री, खीर, लड्डू, बादाम का दूध, चावल, हलवा, रसगुल्ला, गुलाब जामुन, मोहनभोग, मालपुआ, जलेबी जैसे पकवानों के साथ विभिन्न प्रकार की सब्जियां और नमकीन पकवानों को भी रखा जाता है।