इसलिए रखा गया ‘बिपरजॉय’ नाम
जाहिर है कि हमेशा ही यह तूफान भारी तबाही मचाने के अलावा अपने नाम को लेकर चर्चा में रहते हैं। इस बार यह तूफान बांग्लादेश से उठा है। इसके बाद ही इस चक्रवाती तूफान को ‘बिपरजॉय’ नाम दिया गया। ‘बिपरजॉय’ के नाम का बंगाली में अर्थ है आपदा या विपत्ति। ये नाम बांग्लादेश द्वारा दिया गया है। दरअसल, अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में जो भी चक्रवात आते हैं उनके नाम बारी-बारी से इस इलाके के देश रखते हैं। ये सिस्टम पहले से तय होता है। साल 2004 से ऐसा चलता आ रहा है।पहले आ चुके इन नामों के तूफान
इस समय जहां ‘बिपरजॉय’ का खतरा मंडरा रहा है। सोशल मीडिया से लेकर हर ओर इस चक्रवाती तूफान का नाम चर्चा में बना हुआ है। हालांकि इससे पहले ‘बुलबुल’, ‘लीजा’, ‘हुदहुद’, ‘कटरीना’, ‘निवान’ जैसे अलग-अलग नाम चक्रवातों को दिए गए हैं।कैसे करते हैं चक्रवातों का नामकरण
जिस तरह से छोटे बच्चे जब पैदा होते हैं तो उनका तब कोई नाम नहीं होता। उसी तरह से चक्रवात तूफान भी पैदा होने के कुछ दिन तक गुमनाम रहता है। हालांकि हवा की स्पीड के आधार पर इन तूफानों को नाम देने की शुरुआत की जाती है। जब हवा करीब 63 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से गोल-गोल चक्कर काटने लगती है, तब उसे ट्रॉपिकल स्टॉर्म (तूफान) कहते हैं। वहीं जब इसकी स्पीड बढ़ते-बढ़ते जब 119 किलोमीटर प्रति घंटे से ऊपर पहुंचती है, तो उसे ट्रॉपिकल हरिकेन कहते हैं। सीधे शब्दों में कहें तो जैसे-जैसे स्पीड बढ़ती है, हरिकेन की कैटेगरी बदलती है और 1 से 5 की स्केल पर बढ़ती जाती है।यहां से शुरू हुई तूफानों को नाम देने की परंपरा
अब तक कई अलग-अलग नामों के चक्रवाती तूफान सुने जा चुके हैं। आपको बता दें कि इन इन सभी चक्रवातों को नाम देना सबसे पहले अटलांटिक सागर के इर्द गिर्द बसे देशों ने शुरू किया था। अमेरिका ने चक्रवातों को नाम देकर उनका रिकॉर्ड रखना शुरू किया। कैरेबियन आइलैंड्स के लोग कभी कैथलिक संतों के नाम के पर चक्रवातों के नाम रखते थे। दूससे विश्व युद्ध के समय अमेरिकी की सेना ने चक्रवातों को महिलाओं के नाम पर रखना शुरू किया लेकिन कुछ समय बाद इस पर सवाल उठाए गए तो साल 1978 से आधे चक्रवातों के नाम पुरुषों के नाम रखे जाने लगे। यह भी पढ़े – ये है दुनिया का सबसे महंगा आम, कीमत इतनी की घर आ जाए एक नई कार!
चक्रवातों के लिए 21 नामों की लिस्ट तैयार
बता दें कि यूएस वेदर सर्विस में चक्रवातों के लिए हर साल 21 नामों की लिस्ट तैयार की जाती है। इस लिस्ट में हर अल्फाबेट से एक नाम Q, U, X, Y, Z से नाम नहीं रखे जाते। अगर साल में 21 से ज़्यादा तूफान आ जाएं तो फिर ग्रीक अल्फाबेट जैसे अल्फा, बीटा, गामा इस्तेमाल किए जाते हैं। दिल्ली के ट्रैफिक की तरह ही यहां भी ऑड-ईवन सिस्टम है। ईवन साल (जैसे 2004, 2014, 2018) में पहले चक्रवात को आदमी का नाम दिया जाता है. ऑड सालों में (2001, 2003, 2007) पहले चक्रवात को औरत का नाम दिया जाता है। एक नाम छह साल के अंदर दोबारा इस्तेमाल नहीं किया जाता। ज़्यादा तबाही मचाने वाले तूफानों के नाम रिटायर कर दिए जाते हैं, उदाहरण के लिए कटरीना।भारत में कुछ ऐसा है सिस्टम
भारत में अब तक कई चक्रवात तूफान आ चुके हैं। यहां हिंद महासागर में आने वाले तूफानों को नाम देने का चलन 2004 में शुरू हुआ। इससे पहले के चार सालों में भारत, बांग्लादेश, मालदीव, म्यांमार, ओमान, पाकिस्तान, श्रीलंका और थाईलैंड ने मिल कर नाम देने का एक फॉर्मूला बनाया।भारत की लिस्ट में ये हैं तूफानों के नाम
दरअसल, सभी देशों ने अपने नामों की एक लिस्ट वर्ल्ड मीटियोरोलॉजिकल ऑर्गनाइज़ेशन को दी हुई है। इस लिस्ट में भारत की ओर से ‘अग्नि’, ‘आकाश’, ‘बिजली’, ‘मेघ’ और ‘सागर’ जैसे नाम शामिल हैं। जबकि पाकिस्तान की लिस्ट में ‘निलोफर’, ‘तितली’ और ‘बुलबुल’ जैसे नाम हैं। नाम देने लायक चक्रवात आने पर आठ देशों के भेजे नामों में से बारी-बारी एक नाम चुना जाता है। हालांकि भारत में 10 साल तक एक नाम दोबारा इस्तेमाल नहीं किया जाता। ज़्यादा तबाही मचाने वाले चक्रवातों के नाम को रिटायर कर दिया जाता है।तूफान कहां-कहां मचाएगा तबाही?
मौसम विभाग की ओर से रविवार, 11 जून को अलर्ट जारी करते हुए बताया गया है कि पूर्व-मध्य अरब सागर के ऊपर स्थित बहुत गंभीर चक्रवाती तूफान ‘बिपरजॉय’ अगले तीन घंटों के अंदर एक भयावह रूप में बदल जाएगा। इसका असर पाकिस्तान तक देखा जा सकेगा। 15 जून तक यह खतरनाक ‘बिपरजॉय’ पाकिस्तान और उससे सटे तट तक पहुंच जाएगा। वहीं गुजरात के तटीय क्षेत्रों में भी तूफान का खतरनाक असर देखने की संभावना है।भारी बारिश की संभावना
IMD के अनुसार, बिपरजॉय उत्तर-पूर्वोत्तर की ओर बढ़ रहा है। मौसम विभाग ने कहा कि दक्षिण भारतीय क्षेत्र में अगले चार दिनों में बारिश होने की संभावना है। जहां केरल और तटीय कर्नाटक में सोमवार तक भारी बारिश होने की संभावना है, वहीं लक्षद्वीप में रविवार तक बारिश होगी।