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जानिए ‘जवाहर पॉइंट’ के बारे में जो ‘शिव शक्ति’ और ‘तिरंगा’ से पहले से चांद पर मौजूद है

Chandrayaan Mission Site Name: चंद्रयान 3 की सफलता के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने उन दो जगहों का नामकरण किया जो इम्पैक्ट साइट है। एक ‘शिव शक्ति’ और दूसरा ‘तिरंगा’। इससे पहले मनमोहन सिंह सरकार में चंद्रयान-1 की इम्पैक्ट साइट को ‘जवाहर पॉइंट’ नाम दिया गया था, जिसे लेकर अब खूब चर्चा हो रही है, आइये जानते हैं इस ‘जवाहर पॉइंट’ के बारे में।

Aug 26, 2023 / 06:59 pm

Paritosh Shahi

जानिए ‘जवाहर पॉइंट’ के बारे में जो ‘शिव शक्ति’ और ‘तिरंगा’ से पहले से चांद पर मौजूद है

Chandrayaan Mission Site Name: 23 अगस्त की शाम को भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला प्रथम देश बना था। एक पुरानी परंपरा है कि अंतरिक्ष में इंसान जहां जाता है, उस इम्पैक्ट साइट का नामकरण करता है। चंद्रयान-3 के लैंडर का जहां कदम पड़ा उस जगह का नामकरण हो गया है। विदेशी दौरे से लौटने के बाद आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेंगलुरु में चंद्रयान-3 की लैंडिंग साइट को ‘शिवशक्ति’ और चंद्रयान-2 के इम्पैक्ट पॉइंट ‘तिरंगा’ के नाम दिया। बता दें कि 2019 में यहीं पर चंद्रयान-3 का लैंडर क्रैश हो गया था। लेकिन चांद पर ‘शिव शक्ति पॉइंट’ और ‘तिरंगा पॉइंट’ से पहले एक और पॉइंट है जिसका नाम ‘जवाहर पॉइंट’ है आइये इस पॉइंट के बारे में विस्तार से जानते हैं।


कैसे रखा जाता है नाम?

वैसे तो अंतरिक्ष में किसी भी चीज का नाम रखने के अलग नियम है। लेकिन आमतौर पर जब कोई देश चांद या किसी ग्रह पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराता है तो अपने हिसाब से नाम रखता है। जैसे भारत का पहला चंद्रयान-1 का मून इम्पैक्ट प्रोब (MIP) 14 नवंबर 2008 को चांद की सतह पर क्रैश-लैंड हुआ। लैंडिंग की जगह चांद के दक्षिणी ध्रुव में मौजूद Shackleton क्रेटर के पास रही। चूंकि उस दिन भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का जन्मदिन होता है, इसलिए सरकार ने इम्पैक्ट साइट का नाम ‘जवाहर पॉइंट’ रखा गया। उसी तरह चंद्रयान-3 के चांद पर पहुंचने पर उसे शिव शक्ति नाम दिया गया।

जानिए पूरा मामला

15 अगस्त 2003 को भारत ने चंद्रयान मिशन की शुरुआत की थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने साल 2003 में चंद्रयान कार्यक्रम की घोषणा की थी। फिट इसके लगभग ढाई महीने बाद यानी 1 नवंबर 2003 को भारत सरकार ने पहली बार भारतीय लूनर मिशन के लिए ISRO के चंद्रयान-1 को मंजूरी मिली। इसके करीब 5 साल बाद, भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में भारत ने 22 अक्टूबर 2008 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से चंद्रयान-1 मिशन लॉन्च किया गया। उस वक्त जहां इम्पैक्ट साइट था उसका नाम ‘जवाहर पॉइंट’ रखा गया।

भारत को चंद्रयान-1 से क्या मिला

ISRO के अनुसार 28 अगस्त 2009 को चंद्रयान-1 मिशन की समाप्ति कर दी थी, लेकिन चंद्रयान-1 लैंडर क्रैश होने से पहले चांद की सतह पर पानी के अणुओं की मौजदगी है इसका पता चल गया था। चंद्रयान 1 से मिली जानकारी के बाद चांद पर बर्फ, कैल्शियम, मैग्नीशियम, एल्युमिनियम और लोहे की मौजदूगी का पता चल पाया था।

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