खरगे ने कहा कि सभापति जगदीप धनखड़ का व्यवहार सरकार के एजेंडे के हिसाब से काम करने वाला है। इसीलिए विवश होकर उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाए हैं। सभापति खुद सदन के लिए बाधक बनते हैं। निष्पक्ष सदन चलाने की बजाए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गुणगान करते हैं। विपक्षी सदस्यों के साथ दुश्मन जैसा व्यवहार करते हैं और नियम से सदन चलाने की बजाय राजनीति करते हैं।
पदोन्नति के लिए बन गए प्रवक्ता कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, “सभापति की निष्ठा संविधान और संवैधानिक परंपरा के बजाय सत्ता पक्ष के प्रति ज्यादा होती है और वह अपनी पदोन्नति पाने के लिए सरकार के प्रवक्ता के रूप में काम कर रहे हैं। सभापति विपक्ष के किसी भी नए या पुराने नेता को अपमानित करने में संकोच नहीं करते हैं।”
ध्यान भटकाने की साजिश
“हमारे सदस्य सोनिया गांधी और सोरोस के बीच संबंधों का मुद्दा उठाते रहे हैं। यह देश की संप्रभुता का सवाल है। सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाना देश की संप्रभुता के मुद्दे से देश का ध्यान भटकाने की साजिश है। इसकी सभी को निंदा करनी चाहिए।”
– जेपी नड्डा, भाजपा अध्यक्ष