जेल जाने के बाद सीएम ने छीना मंत्रालय सरकार में नंबर दो की हैसियत रखने वाले कांग्रेस कोटे के मंत्री आलमगीर आलम को ईडी ने टेंडर कमीशन घोटाले में 15 मई को गिरफ्तार किया था। इसके बाद से वह न्यायिक हिरासत में जेल में बंद हैं। जेल जाने के कई दिनों बाद भी उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा नहीं दिया तो सरकार पर सवाल उठने लगे। इसके बाद 7 जून को सीएम चंपई सोरेन ने आलमगीर आलम की जिम्मेदारी वाले सभी विभाग वापस ले लिए। आखिरकार आलमगीर आलम ने 10 जून को मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। अब उनकी जगह कांग्रेस कोटे से जिन विधायकों के नाम मंत्री पद के दावेदारों में सामने आए हैं, उनमें जामताड़ा के विधायक डॉ. इरफान अंसारी और महगामा की विधायक दीपिका पांडेय सिंह प्रमुख हैं।
मंत्री बनने की रेस में कांग्रेस के दो दिग्गज मंत्री पद के लिए डॉ. इरफान अंसारी की दावेदारी के दो आधार हैं। पहला यह कि आलमगीर आलम सरकार में मुस्लिम अल्पसंख्यक चेहरा थे, इसलिए उनका रिप्लेसमेंट इसी समुदाय से हो सकता है। दूसरा यह कि लोकसभा चुनाव में इरफान अंसारी के विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से ‘इंडिया’ गठबंधन के प्रत्याशी नलिन सोरेन को करीब 50 हजार मतों की बढ़त मिली है। कांग्रेस की विधायक दीपिका पांडेय सिंह को पार्टी ने लोकसभा चुनाव में गोड्डा क्षेत्र से प्रत्याशी बनाने की घोषणा की थी, लेकिन तीन-चार दिनों के बाद ही उन्हें ड्रॉप कर उनकी जगह प्रदीप यादव को प्रत्याशी बनाया गया था। टिकट कटने के बावजूद दीपिका पांडेय सिंह ने सधी हुई प्रतिक्रिया दी थी और कांग्रेस नेतृत्व के फैसले पर रजामंदी जताई थी।
कल्पना बनेंगे मंत्री पार्टी सूत्रों का कहना है कि मंत्री पद के लिए उनकी दावेदारी पर भी विचार चल रहा है। आलमगीर आलम ने मंत्री पद के साथ-साथ कांग्रेस विधायक दल का नेता पद भी छोड़ा है। ऐसे में इन दोनों विधायकों में से एक को मंत्री और दूसरे को विधायक दल का नेता बनाया जा सकता है। झारखंड में कैबिनेट में अधिकतम 12 मंत्री हो सकते हैं। 12वें मंत्री का बर्थ पहले से खाली चला आ रहा है। अब यह बर्थ नवनिर्वाचित विधायक कल्पना सोरेन को आवंटित हो सकता है, क्योंकि वह लोकसभा चुनाव प्रचार अभियान के दौरान गठबंधन के सबसे बड़े चेहरे के तौर पर उभर कर सामने आईं। वहीं, आगामी लोकसभा चुनाव में जेएमएम प्रमुख हेंमत सोरने की जगह वह पीएम मोदी से टक्कर लेती हुई दिखेंगी।