हाल के दिनों में जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों और सुरक्षा बलों के बीच कई मुठभेड़ हुई हैं, जिनमें कई आतंकवादी और उनके कमांडर मारे गए हैं। सुरक्षा बलों के जवान भी हताहत हुए हैं। पुंछ और राजौरी तक सीमित गतिविधियां अब जम्मू के अन्य क्षेत्रों में फैल रही हैं, ऐसे क्षेत्र जो कुछ साल पहले तक इस तरह की घटनाओं से मुक्त थे जैसे कि चिनाब घाटी, जिसे आतंकवाद मुक्त घोषित किया गया था। उधमपुर और कठुआ को भी आतंकवाद मुक्त घोषित किया गया था।
आतंकवादी वाहनों पर घात लगाकर हमला कर रहे हैं और ग्रेनेड के साथ-साथ एम4 असॉल्ट राइफलों का इस्तेमाल कर रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि बढ़ते आतंकवाद और आतंकवादियों द्वारा अत्याधुनिक हथियारों के इस्तेमाल से इन इलाकों में खतरा बढ़ गया है। विश्लेषकों का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में कश्मीर घाटी को जम्मू से अलग करने वाले पीर पंजाल क्षेत्र में आतंकवाद में वृद्धि देखी गई है। कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियानों ने आतंकवादियों को पहाड़ों पर धकेल दिया है जहां वे छिपते हैं और सुरक्षा बलों पर हमले करने के लिए सही समय का इंतजार करते हैं। जम्मू में बढ़ते आतंकवाद से निपटने के लिए एक व्यापक रणनीति और सुरक्षा बलों के बीच बेहतर समन्वय शामिल है।