जीतन राम मांझी का कहना है कि आरक्षण का कलंक हमारे साथ चिपक गया है और यह किसी भीख से कम नहीं है। आज आरक्षण और जातिवाद का राक्षस हमें निगल रहा है, ऐसे में समान स्कूली शिक्षा ही इसका उपाय है। बिहार पूर्व सीएम का मानना है कि अगर देश में कॉमन स्कूलिंग सिस्टम लागू हो जाए तो 10 साल बाद आरक्षण की जरूरत ही नहीं होगी।
मांझी का कहना है कि आरक्षण ने देश में लोगों के बीच एक गहरी खाईं बना दी है। ऐसे में जरूरी है कि राष्ट्रपति या फिर किसान के बच्चा दोनों एक ही स्कूल में पढ़ें। मुझे विश्वास है कि इस व्यवस्था के लागू होने के 10 साल बाद ही देश में आरक्षण और जातिवाद की कोई बात ही नहीं होगी।