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झारखंडः JMM की राज्यपाल से मांग- हेमंत सोरेन की सदस्यता पर चुनाव आयोग की सिफारिश से पर्दा उठाकर दूर करें भ्रम

Jharkhand News: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता पर लटकी तलवार के मामले में आज झामुमो ने राज्यपाल रमेस बैस से भ्रम की स्थिति को दूर करने की मांग की है। झारखंड मुक्ति मोर्चा ने प्रेस कॉफ्रेंस कर मामले में राज्यपाल से स्थिति स्पष्ट करने की मांग की।

Sep 09, 2022 / 10:46 pm

Prabhanshu Ranjan

Jharkhand JJM demand to Governor please clear suspense on Hemant Soren membership

Jharkhand News: ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के मामले में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधायकी समाप्त किए जाने की सिफारिश पर अभी भी सस्पेंस कायम है। इस मामले में विपक्षी दल बीजेपी की ओर से कहा गया था कि चुनाव आयोग ने हेमंत सोरेन की सदस्यता को रद्द करने की सिफारिश की है। हालांकि अभी तक इस मामले में राज्यपाल की ओर से कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है। ऐसे में झामुमो ने आज राज्यपाल से इस मसले पर भ्रम की स्थिति को स्पष्ट करने की मांग की है।

झारखंड की सत्ताधारी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से संबंधित ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में चुनाव आयोग की सिफारिश पर राज्यपाल रमेश बैस से स्थिति साफ करने की अपील की है। पार्टी के केंद्रीय प्रवक्ता और केंद्रीय समिति सदस्य सुप्रियो भट्टाचार्या ने शुक्रवार को एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि राज्य में भ्रम की स्थिति दूर होनी चाहिए। चुनाव आयोग की सिफारिश में अच्छा-बुरा, काला-उजला जो कुछ भी है, वह सामने आना चाहिए।

 


झामुमो नेता सुप्रियो भट्टाचार्या ने कहा कि झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस छह दिन के लंबे दिल्ली प्रवास से लौटे हैं। सुनने में आया है कि राज्यपाल ने अपने स्वास्थ्य का चेकअप कराया है। वह स्वस्थ रहें, इसकी भी कामना करते हैं। राज्यपाल को झारखंड के लोकतांत्रिक स्वास्थ्य का भी ध्यान रखना चाहिए।

भट्टाचार्य ने कहा कि हमने सदन में अपनी ताकत दिखा दी और विपक्ष वॉक आउट कर गया। लेकिन राज्यपाल रमेश बैस द्वारा चुनाव आयोग के मंतव्य पर बात स्पष्ट न करने से राज्य में भ्रम की स्थिति बनी हुई है।

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बता दें कि ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में भारत निर्वाचन आयोग की सिफारिश को लेकर बीते एक सितंबर को यूपीए प्रतिनिधिमंडल ने राजभवन जाकर उनसे मुलाकात की थी। उन्होंने कहा था कि चुनाव आयोग से प्राप्त मंतव्य पर वह कानूनी सलाह ले रहे हैं और दो दिन में स्थिति साफ कर दी जायेगी। दूसरे दिन वह दिल्ली चले गए और अब तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि निर्वाचन आयोग के लिफाफे में क्या है।

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