सीएम हेमंत सोरेन ने याचिका को हाईकोर्ट में दी चुनौती राज्य सरकार और सीएम हेमंत सोरेन ने इस याचिका की वैधता को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने इसकी सुनवाई करते हुए दोनों याचिकाओं को सुनवाई के योग्य माना था। बाद में सरकार और हेमंत सोरेन ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।
सीजेआई की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनवाई की थी सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सुधांशु धुलिया की बेंच ने यह फैसला सुनाया है। दरअसल, सीएम सोरेन और झारखंड सरकार ने हाई कोर्ट में इस मामले से संबंधित जनहित याचिका को झारखंड हाई कोर्ट ने सुनवाई योग्य मान लिया था। इसके बाद हेमंत सोरेन ने सुनवाई पर रोक लगाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी (स्पेशल लीव पिटिशन) दायर की थी।
पीआईएल की मेंटेनेबिल्टी पर कपिल सिब्बल ने उठाए सवाल अगस्त में हुई सुनवाई में वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने हाई कोर्ट में दाखिल पीआईएल की मेंटेनेबिल्टी पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था कि पीआईएल डराने के लिए दाखिल की गई है। याचिकाकर्ता के पिता की हेमंत सोरेन परिवार के साथ पुरानी रंजिश रही है।
खनन मामले में पर्याप्त सबूत – ईडी वकील ईडी के वकील ने अपनी दलील में कहा था कि, खनन मामले में उसके पास पर्याप्त सबूत हैं, जिसके आधार पर याचिका की सुनवाई जारी रखी जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने ईडी की दलील को खारिज कर दिया था। कोर्ट ने कहा कि अगर ईडी के पास मनी लॉन्ड्रिंग के सबूत हैं, तो वो खुद इसकी जांच कर सकती है। वह पीआईएल की आड़ में जांच के लिए कोर्ट का आदेश क्यों चाहती है? इसके बाद कोर्ट ने एसएलपी पर फैसला सुरक्षित रख लिया था।