माफी मांगने के बाद भी बवाल नहीं थमा
उस विवादित बयान के बाद मुख्यमंत्री को भी इस गलती का एहसास हुआ और उन्होंने दूसरे दिन ही सार्वजनिक तौर पर न केवल तीन बार माफी मांगी बल्कि खुद के बयान की निंदा भी की। वो बोले, मैं शर्मिंदा हूं। इस तमाम विवाद के बीच राजनीति के जानकार अजय कुमार भी कहते हैं कि जिस तरह से नीतीश के बयान के बयान को लेकर हाय तौबा मची, उससे उनकी छवि को धक्का लगा है, इसे कोई नकार नहीं सकता है। उन्होंने साफ लहजे में कहा कि विधानसभा में जिस प्रकार नीतीश ने पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को अपमानित किया, जो दलित वर्ग से आते हैं, उससे भी जदयू के सियासी रणनीति को नुकसान पहुंचा है।
महिलाएं आ सकती है विरोध में
आगे अजय कुमार ने कहा कि नीतीश कुमार के लिए आधी आबादी शुरुआत से ही एक ताकत रही है। कुमार के कार्यकाल में सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 35 प्रतिशत का आरक्षण मिला। इस कारण ही पिछले कई चुनावों में मतदान के दौरान महिलाओं की लंबी कतार देखी गई है और इसका सीधा लाभ उनकी पार्टी को मिला।
आगे उन्होंने कहा, दलित, महादलित मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए जदयू के नेता अक्सर कहते रहे हैं कि नीतीश कुमार ने एक दलित वर्ग से आने वाले को नेता को मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचा दिया। लेकिन अब नीतीश के ‘मेरी मूर्खता थी कि मैने मांझी को मुख्यमंत्री बना दिया’ के बाद शायद जदयू के नेता लोगों के बीच यह बयान नहीं दे पाएंगे।
बीजेपी प्रवक्ता बोले- नीतीश मेमोरी लोस सीएम हैं
इधर, भाजपा के प्रवक्ता राकेश कुमार सिंह का कहना है कि नीतीश कुमार मेमोरी लॉस मुख्यमंत्री हैं। उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में गौर से देखे तो उन्हें कई बातें याद नहीं रहती है। वे बताते हैं कि जब वे सदन में पूर्व सीएम मांझी के खिलाफ बोल रहे थे तब उनकी पार्टी के ही नेता उन्हें बैठाने की कोशिश कर रहे थे लेकिन वे बिना पूरी बात रखे नहीं बैठे।
उन्होंने यह भी माना कि नीतीश की छवि नाप तौल कर बोलने वाले नेता की रही है, लेकिन जब से वे राजद के साथ गए है उनके अंदाज बदल गए हैं। इसमें दो मत नहीं कि नीतीश के हाल के बयानों से उनकी छवि को नुकसान हुआ है, लेकिन अब देखने वाली बात होगी जदयू अपने नेता की सुशासन वाली साख या सियासी आभा कैसे फिर से लौटा पाती है।