ईटानगर। यूं तो भारत के अधिकांश राज्य किसी ना किसी रूप में प्राकृतिक, ऐतिहासिक और पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। लेकिन उत्तर पूर्व दिशा में अरुणाचल प्रदेश ऐसा राज्य है। जहां की प्राकृतिक खूबसूरती यहां कदम रखते ही आकर्षित करती है। दो साल पहले ही अस्तित्व में आए यहां के डोनी पोलो एयरपोर्ट पर कदम रखते ही यह स्पष्ट होने लगा कि यह इस खूबसूरत प्रदेश को आजादी के बाद विकास की कदमताल में अन्य राज्यों से पीछे ही रहना पड़ा।
एयरपोर्ट से टैक्सी में सवार हुए तो सड़क के किनारे पहाड़ों के पत्थर के बजाय मिट्टी के होने का अहसास हुआ। गुवाहाटी निवासी टैक्सी ड्राइवर कैलास दास ने बातचीत में बताया कि इन्हें मरे हुए पहाड़ कह सकते हैं। जो पत्थर के बजाय अब मिट्टी का रूप ले चुके हैं। इसका तात्पर्य पूछने पर उसने बताया कि इसे बोलचाल की भाषा में कहा जाता है। ये दिखते पत्थर जैसे हैं, लेकिन होते मिट्टी के ही हैं।
इस खूबसूरत शहर को समझने के लिए सबसे पहले इस प्रदेश की राजधानी ईटानगर में मौजूद जवाहरलाल नेहरू स्टेट म्यूजियम में कदम रखा। अरूणाचल प्रदेश 25 जिलों वाला राज्य है और तीन देशों चीन, बर्मा और म्यांमार की अंतरराष्ट्रीय सीमा से जुडा हुआ है। लेकिन यह प्रदेश देश के हवाई सेवा नेटवर्क से आजादी के इतने साल बाद दो साल पहले 2022 में ही जुड पाया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यहां डोनी पाॅली एयरपोर्ट का उद्घाटन किया।
वर्ष 2019 में उन्होंने इसका शिलान्यास भी किया था। एयरपोर्ट अभी छोटा है, लेकिन इसके विस्तार का काम चल रहा है। फिलहाल यह कोलकाता और दिल्ली से ही मुख्य रूप से जुडा हुआ है। पहाडियों से घिरे इस एयरपोर्ट से ईटानगर तक पहुंचने का रास्ता भी बेहद खुशनुमा और रोमांचक है। यहां की बसावट पहाड़ी इलाकों जैसी ही है। इस शहर को देखकर अब ऐसा लगता है कि कई दशक तक पिछड़ा रहा यह शहर अब विकास की ओर कदमताल करने लगा है।
म्यूजियम दिखा रहा अरुणाचल प्रदेश की सांस्कृतिक विविधता
इसी शहर के मध्य में स्थित है यहां का स्टेट म्यूजियम जहां अरूणाचल प्रदेश की विविधता वाली संस्कृति आपको एक साथ एक ही छत के नीचे नजर आ जाती है। सौ से अधिक आदिवासी समुदायों वाला अरूणाचल प्रदेश आदिवासी संस्कृति के ढेरों रंग समेटे हुए है। यहां के सभी जिलों में किसी ना किसी एक आदिवासी समुदाय का बाहुल्य है और ऐसे ही 28 प्रमुख आदिवासी समुदायों की जीवनशैली को यहां दर्शाया गया है। अरूणाचल के जनजीवन से जुडे हर पहलू चाहे वह यहां आदिवासी समुदायों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरण हों या कपडे, प्राचीन समय में इस्तेमाल किए जाने वाले हथियार हों या एक दूसरे को संदेश भेजने की तकनीक, सब कुछ यहां देखा जा सकता है।