जब नेहरू की पसंदीदा ब्रांड सिगरेट लेने के लिए भेजा गया विशेष विमान
पूर्व पीएम पंडित जवाहरलाल नेहरू से जुड़ा एक अनोखा किस्सा है कि तत्कालीन भारत के पहले प्रधानमंत्री नेहरू भोपाल के दौरे पर गए हुए थे। वे यहां राजभवन में ठहरे हुए थे। नेहरूजी को खाना खाने के बाद एक खास ब्रांड की सिगरेट पीना का शौक था। उस समय राजभवन में सिगरेट उपलब्ध नहीं थी। जब राजभवन के अधिकारियों को यह पता चला कि नेहरूजी की पसंदीदा सिगरेट एक्सप्रेस 555 मौजूद नहीं है तो आनन-फानन में तुरंत एक विमान को सिगरेट लाने के लिए भोपाल से इंदौर भेजा गया।
लोगों की मदद के लिए बांट देते थे अपनी सैलरी
ऐसा कहा जाता है कि नेहरू हमेशा जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए तैयार रहते थे। उनके निजी सचिव रहे एमओ मथाई ने अपनी किताब ‘माय डेज विथ नेहरू’ में भी इसका जिक्र किया है। उन्होंने किताब में लिखा, जब नेहरू प्रधानमंत्री बन गए तो उनके पास हमेशा पैसों की कम रहती थी। जितना जेब खर्च होता था, वो भी वो किसी जरूरतमंद को दे देते थे। इससे परेशान होकर मथाई ने उनकी जेब में पैसा रखना ही बंद कर दिया। इसके बावजूद भी कोई जरूरतमंद मिल जाता तो किसी से मांगकर उसको दे देते थे।
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नाई को दी लंदन से लाकर घड़ी
ये किस्सा कुछ इस तरह का है। नेहरू के बाल काटने के लिए राष्ट्रपति भवन से एक नाई आते थे। एक बार नेहरू ने उससे पूछा कि हम विलायत यानी विदेश जा रहे हैं। आपके के लिए क्या लेकर आए। इस पर नाई ने शर्माते हुए कहा, हुजूर कभी-कभी आने में देर हो जाती है। अगर घड़ी ले आएं तो अच्छा होगा। इसके बाद नेहरू जी अपने नाई के लिए लंदन से नई घड़ी लाए थे।
पिताजी ने 1904 में विदेश से मंगवाई कार
दरअसल पिता मोतीलाल नेहरू इलाहाबाद के प्रतिष्ठित परिवार से थे। उन्होंने अपने बेटे जवाहर को बड़े लाड-प्यार से पाला था। कहते हैं एकबार नेहरू जी के पिताजी ने उनके लिए साल 1904 में विदेश से कार मंगवाई थी। इलाहाबाद की सड़कों पर चलने वाली यह पहली कार थी। उनके घर टेनिस कोर्ट और स्वामिंग पूल जैसी सुविधाएं थीं।
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गौ-हत्या का विरोध
नेहरू जी गो-हत्या के सख्त खिलाफ थे। इसक जुड़ा ऐसा किस्सा है कि एक बार संसद सभा के दौरान सदन में गो-हत्या का प्रस्ताव रखा गया। उस दौरा नेहरूजी ने सख्त लहजे में कहा था कि अगर गो-हत्या का प्रस्ताव हुआ तो मैं अपने पद से इस्तीफा दे दूंगा।
सुभाष चंद्र बोस की 20 सालों तक करवाई जासूसी
ऐसा कहा जाता है कि पंडित जवाहरलाल नेहरू और सुभाष चंद्र बोस के बीच रिश्ते ज्यादा मधुर नहीं रहे। माना जाता है कि नेहरू जी सुभाष चंद्र बोस की गतिविधियों पर नज़र रखते थे। ऐसा भी कहा जाता है कि बोस की 20 सालों तक गोपनीय तरीके से जासूसी करवाई थी।