पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने इस फैसले का विरोध करते हुए कहा, “जम्मू-कश्मीर में बाहरी लोगों को वोट देने की अनुमति दिया जाना स्पष्ट रूप से चुनाव परिणामों को प्रभावित करना है। असली उद्देश्य स्थानीय लोगों को कमजोर कर अपनी पकड़ मजबूत करते हुए यहाँ अपना शासन करना जारी रखना है।”
मुफ्ती ने आगे कहा, “बीजेपी चोर दरवाजे से वॉटर्स लाने की कोशिश कर रही है। 25 लाख वॉटर्स बाहर से लाए जा रहे हैं। बीजेपी वास्तव में संविधान को खत्म कर रही है और केवल अपने हित में काम कर रही है। लोकतंत्र के नाम पर अराजकता फैला रही। वास्तव में ये हिन्दू राष्ट्र नहीं बीजेपी राष्ट्र है।”
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उन्होंने आगे कहा, “बीजेपी के लिए जम्मू कश्मीर प्रयोगशाला है। वो अपने हित के लिए ED का गलत इस्तेमाल कर रही और अब यहां फासीवादी स्थापित करने की कोशिश कर रही है। वो यहाँ तानाशाही नीति अपना रही है ऐसे में हमें जम्मू-कश्मीर के संकल्प पर और जोर देना चाहिए।”
मुफ्ती ने कहा कि “मैंने डॉ फारूक अब्दुल्ला से बात की है और उनसे एक सर्वदलीय बैठक बुलाने का अनुरोध किया है, जिसमें वे लोग भी शामिल हैं जिनसे हम असहमत हैं, ताकि हम भविष्य की कार्रवाई का खाका तैयार कर सकें।”
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मुफ्ती से पहले नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने भी ट्वीट कर चुनाव आयोग के फैसले का विरोध किया था। उन्होंने लिखा, “क्या बीजेपी जम्मू-कश्मीर के मूल वॉटर्स के समर्थन को लेकर इतनी असुरक्षित है कि उसे सीटें जीतने के लिए अस्थायी मतदाताओं को इम्पोर्ट करने की जरूरत है? जब जम्मू-कश्मीर के लोगों को अपने मताधिकार का प्रयोग करने का मौका दिया जाएगा तो इनमें से कोई भी चीज बीजेपी की मदद नहीं करेगी।”
वहीं, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद गनी लोन ने सरकार के इस कदम को विनाशकारी बताया है। बता दें कि जम्मू कश्मीर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी हृदेश कुमार ने घोषणा करते हुए कहा था कि कश्मीर में रहने वाले बाहरी भी अपना नाम वोटर लिस्ट में शामिल करा सकते हैं और वोट डाल सकते हैं जिसके लिए उन्हें निवास प्रमाण पत्र की भी आवश्यकता नहीं है।