जम्मू कश्मीर में गुलाम नबी आजाद प्रभावशाली नेताओं में से एक हैं। यदि वो नई पार्टी बनाते हैं तो राज्य में अन्य पार्टियों खासकर कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती बनकर उभरेंगे। गौर करें तो 2005 से 2008 तक जब वो यहाँ सीएम पद पर थे तब उनका कार्यकाल साफ-सुथरा रहा था।
इसके अलावा जम्मू में उनका प्रभाव काफी अधिक है जिससे नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी और कांग्रेस का वोट बैंक बुरी तरह से प्रभावित हो सकता है। पुंछ, राजौरी, रामबन, डोडा, किश्तवाड़, और अन्य जिलों में मुस्लिम बहुल निर्वाचन क्षेत्रों में अन्य प्रतिद्वंद्वियों की तुलना में उनकी छवि काफी बेहतर है। इसके साथ ही हिन्दू बहुल निर्वाचन क्षेत्रों में भी वो एक बड़े धर्मनिरपेक्ष और राष्ट्रवादी नेता के रूप में जाने जाते हैं।
जम्मू कश्मीर की 43 विधानसभा सीटों में से लगभग 17 सीटों पर उनका प्रभाव है। आप इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि कांग्रेस क्यों आजाद के निकलने से परेशान है।
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आजाद के प्रभाव को देखते हुए ही अब कांग्रेस कश्मीर में नेशनल कांफ्रेंस के साथ गठबंधन करने की कोशिशों में जुटी है। कश्मीर में नेशनल कांफ्रेंस अभी भी मजबूत स्थिति में है ऐसे में सत्ता में आने के लिए कांग्रेस NC के साथ जाने पर विचार कर रही है।