गुज्जर-बकरवाल और पहाड़ी समुदाय के नेता आमने-सामने
राज्य में एसटी के लिए आरक्षित कुल नौ सीटों में से सात पर दूसरे चरण में ही मतदान होना है। इन सीटों पर गुज्जर-बकरवाल और पहाड़ी आदिवासी नेता मैदान में हैं। एसटी के लिए आरक्षित सीटों में गांदरबल जिले की कंगन, रियासी जिले की गुलाबगढ़, राजौरी जिले की राजौरी, बुधल और थन्नामंडी, पुंछ जिले की सुरनकोट और मेंढर विधानसभा सीट पर बुधवार को मतदान होगा। इन सीटों पर कांटे का मुकाबला है। क्योंकि, आदिवासियों के वोट बंटे तो गैर आदिवासी मतदाता हार-जीत का फैसला करेंगे। कई सीटों पर गुज्जर-बकरवाल और पहाड़ी समुदाय के नेता आमने-सामने हैं। इस कारण प्रत्याशी और पार्टी नेताओं ने मतदान के एक दिन पहले तक खूब पसीना बहाया।आदिवासियों की सोच बदलीः
‘मोदी सरकार ने कुछ काम तो अच्छे किए’
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एसटी आरक्षित सीट के मतदाता क्या सोचते हैं। यह जानने के लिए मैंने श्रीनगर से कंगन की ओर रुख किया। रास्ते में खेतों में किसान और पशुपालक मिले। पशुपालक मुजाफर अहमद से चुनाव की चर्चा छेड़ी तो उन्होंने कहा, यहां एनसी ज्यादा ताकतवर लग रही है, लेकिन भाजपा को लेकर भी सोच बदली है। क्योंकि पहले आदिवासी समुदाय को दबाकर रखा गया था। मोदी सरकार ने कुछ काम तो अच्छे किए हैं। अब खाते में सीधे पैसे आ रहे हैं, पहले तो पता भी नहीं चलता था।
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