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Jammu Kashmir Elections: सबकी नजरें पहली बार आरक्षित आदिवासी सीटों पर, कड़ी टक्कर

Jammu Kashmir Elections: दूसरे चरण में लाल चौक से लेकर माता वैष्णो देवी और राजौरी, पुंछ से लेकर हजरतबल और गांदरबल जैसी अहम सीटें शामिल हैं। पढ़िए जग्गोसिंह धाकड़ की खास रिपोर्ट…

नई दिल्लीSep 25, 2024 / 11:41 am

Shaitan Prajapat

Jammu Kashmir Elections: जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में बुधवार को 26 सीटों पर होने जा रहे मतदान में पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से लेकर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र रैना समेत कई महत्त्वपूर्ण नेताओं के साथ-साथ कुल 239 प्रत्याशियों की किस्मत वोटिंग मशीन में बंद हो जाएगी। इस चरण में लाल चौक से लेकर माता वैष्णो देवी और राजौरी, पुंछ से लेकर हजरतबल और गांदरबल जैसी अहम सीटें शामिल हैं। लेकिन, सबकी निगाहें राज्य में अनुसूचित जनजाति (एसटी) वर्ग के लिए पहली बार आरक्षित सीटों पर टिकी हैं। दूसरे चरण के चुनाव में 11 सीट जम्मू संभाग और 15 सीट कश्मीर में आती है।

गुज्जर-बकरवाल और पहाड़ी समुदाय के नेता आमने-सामने

राज्य में एसटी के लिए आरक्षित कुल नौ सीटों में से सात पर दूसरे चरण में ही मतदान होना है। इन सीटों पर गुज्जर-बकरवाल और पहाड़ी आदिवासी नेता मैदान में हैं। एसटी के लिए आरक्षित सीटों में गांदरबल जिले की कंगन, रियासी जिले की गुलाबगढ़, राजौरी जिले की राजौरी, बुधल और थन्नामंडी, पुंछ जिले की सुरनकोट और मेंढर विधानसभा सीट पर बुधवार को मतदान होगा। इन सीटों पर कांटे का मुकाबला है। क्योंकि, आदिवासियों के वोट बंटे तो गैर आदिवासी मतदाता हार-जीत का फैसला करेंगे। कई सीटों पर गुज्जर-बकरवाल और पहाड़ी समुदाय के नेता आमने-सामने हैं। इस कारण प्रत्याशी और पार्टी नेताओं ने मतदान के एक दिन पहले तक खूब पसीना बहाया।

आदिवासियों की सोच बदलीः

‘मोदी सरकार ने कुछ काम तो अच्छे किए’

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एसटी आरक्षित सीट के मतदाता क्या सोचते हैं। यह जानने के लिए मैंने श्रीनगर से कंगन की ओर रुख किया। रास्ते में खेतों में किसान और पशुपालक मिले। पशुपालक मुजाफर अहमद से चुनाव की चर्चा छेड़ी तो उन्होंने कहा, यहां एनसी ज्यादा ताकतवर लग रही है, लेकिन भाजपा को लेकर भी सोच बदली है। क्योंकि पहले आदिवासी समुदाय को दबाकर रखा गया था। मोदी सरकार ने कुछ काम तो अच्छे किए हैं। अब खाते में सीधे पैसे आ रहे हैं, पहले तो पता भी नहीं चलता था।
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गैर आदिवासी बोले, भाजपा को देखना भी नहीं चाहते

कंगन कस्बे में एक दुकान पर गुलाम हसन शियाम और गुलाम नबी लोन मिले। उनसे चुनावी चर्चा छेड़ी तो बोले, यहां हम भाजपा को देखना नहीं चाहते, भाजपा के बिना हुकूमत चाहिए। यहां एनसी, कांग्रेस और पीडीपी के अलावा किसी पार्टी को पसंद नहीं करते हैं। उन्होंने यह भी कहा, विधानसभा चुनाव में एसटी को आरक्षण नहीं देना चाहिए था, यह सही नहीं है। कस्बे थोड़ा आगे धान के खेत के पास बैठे आबिद से चुनावी मुद्दा पूछा तो बोले, कंगन में एनसी और पीडीपी के बीच कड़ा मुकाबला है। अबरार और शकील ने कहा, किसी भी दल की सरकार बन जाए, लेकिन रोजगार के लिए किसी ने कुछ नहीं किया।

हॉट सीट बनी सुरनकोट

सुरनकोट विधानसभा सीट से भाजपा ने मुश्ताक अहमद शाह बुखारी को उतारा है। ये पहाड़ी समुदाय को आरक्षण दिलाने के आंदोलन में सक्रिय रहे। कांग्रेस ने गुर्जर समुदाय के मोहम्मद शहनवाज को उतारा है। कांग्रेस के बागी चौधरी मोहम्मद अकरम भी मैदान में हैं। पीडीपी ने भी गुर्जर चेहरे जावेद इकबाल पर दांव खेला है। गुर्जर वोट बंटे तो भाजपा को फायदा हो सकता है। यह देख कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने यहां जनसभा की है। थन्नामंडी, मेंढर, बुधल, गुलाबगढ़ और राजौरी विधानसभा सीट पर भी मुकाबला रोचक है।

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