भाजपा के लिए राह आसान नहीं
दूसरे चरण के सियासी मिजाज का अंदाजा श्रीनगर एयरपोर्ट से निकलते ही होने लगा था। टैक्सी चालक फारूख से चुनाव की चर्चा छिड़ी तो बोले, ‘देश के नेता कश्मीर को सियासत के लिए इस्तेमाल करते हैं। पहले यहां बाहर के लोगों को सरकारी नौकरी नहीं मिलती थी लेकिन अब इस पर जम्मू-कश्मीर के लोगों का एकाधिकार खत्म हो गया है। सत्तासीनों ने आवाम की दुशवारियां दूर करने में रुचि नहीं दिखाई। इस बार कांग्रेस से लोगों को उम्मीद है। भाजपा के लिए कश्मीर में खाता खोलना आसान काम नहीं है।’ एक रेस्टोरेंट पर सोनिया कौर बोली, ‘अनुच्छेद 370 हटने के बाद कश्मीर का माहौल ही बदल गया है लेकिन कश्मीर की बड़ी आबादी पीएम मोदी से नाराज है। इसलिए भाजपा के लिए राह आसान नहीं है।’किसी दल का माहौल नहीं
बुदशाह चौराहे पर जम्मू से आए परविंदर बोले से मुलाकात हुई। उनकी मानें तो इस बार किसी दल विशेष का कोई माहौल नहीं है। श्रीमाता वैष्णोदेवी विधानसभा क्षेत्र से लेकर गांदरबल तक के प्रत्याशियों को जीतने में पसीना आ रहा है। अबी गौजर बाजार में मुश्ताक का कहना है कि राजनीतिक दलों ने पूरी ताक झोंक रखी है। मतदाताओं पर उनकी बातों का असर नहीं हो रहा है। मतदाता खुलकर बोल भी नहीं रहे। यह पता नहीं चल पा रहा कि किस दल की हवा है। बडगांव, बारामूला और रियासी जिले के मतदाताओं के अनुसार इस बार मतदाता सियासी दलों के बिछाए गए वादे और दावों के जाल में नहीं फंस रहा है। मतदाता होशियारी के साथ हर प्रत्याशी को तौल रहा है। चुनाव परिणाम का अंदाजा लगाना मुश्किल प्रतीत हो रहा है।“बच्चों के हाथों में पत्थर नहीं चाहिए”
श्रीनगर के प्रताप पार्क में इंजीनियरिंग के छात्रों से बात हुई। अरपन और जमाल को लगता है कि अनुच्छेद 370 पुरानी बात हो गई है। वे बोले, आखिर इस मुद्दे को कब तक जिंदा रखेंगे। अभी तक जिन्होंने कुछ नहीं किया वे दल ही इसे मुद्दा बना रहे हैं। कश्मीरी अपने बच्चों के हाथों में फिर से पत्थर नहीं चाहते। यहां के युवा रोजगार, शिक्षा के अवसरों के साथ अच्छी कनेक्टिविटी चाहते हैं जिससे वे देश की मुख्यधारा से जुड़ सके। लोगों को 10 साल बाद सरकार बनाने का मौका मिला है। हम भी पहली बार मतदान करेंगे। शहर में 370 हटने से इतनी नाराजगी है कि लोग भाजपा के वादे भी सुनना पसंद नहीं कर रहे। मुदसिर से चर्चा हुई तो बोले, हालात बहुत अच्छे हो गए हैं, यह बात सही नहीं है। अमन की बात हो रही है लेकिन अमन है नहीं। अनुच्छेद 370 हमारी बुनियादी अधिकार हैं, जिसे हमसे छीन लिया।BJP के लिए प्रतिष्ठा बनी वैष्णो देवी सीट
श्रीमाता वैष्णो देवी सीट को भाजपा की प्रतिष्ठा से जोड़कर देखा जा रहा है। यहां भाजपा को विरोध के कारण प्रत्याशी बदलना पड़ा था। यहां सात प्रत्याशी मैदान में हैं। भाजपा ने रोहित दुबे की जगह बलदेवराज शर्मा और कांग्रेस ने भूपेन्द्र सिंह को मैदान में उतारा है। पीडीपी से प्रताप कृष्ण शर्मा प्रत्याशी हैं। इनके अलावा तीन निर्दलीय भी दौड़ में हैं। यूटी की राजोरी (एससी), रियासी, सुरनकोट (एससी) और थन्नामंडी (एससी) विधानसभा सीट पर कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधी टक्कर नजर आ रही है।कश्मीर में निर्दलीयों के भरोसे भाजपा
भाजपा जम्मू में सभी सीटों पर चुनाव लड़ रही है लेकिन कश्मीर में 47 में से 19 सीटों पर ही चुनाव लड़ रही है। भाजपा कश्मीर के निर्दलीयों के भरोसे सत्ता के सपने देख रही है। भाजपा को उम्मीद है कि जम्मू में अच्छी सीटें मिल सकती हैं और कश्मीर के कुछ निर्दलीय जीतने वाले विधायकों को मिलाकर जादुई अंक को छू सकती है। एनसी और पीडीपी बड़ी संख्या में मैदान में उतरे निर्दलीय प्रत्याशियों से घबराई हुई है।यह भी पढ़ें – “मैं PM Modi से नफरत नहीं करता”: US यूनिवर्सिटी में Rahul Gandhi ने पीएम और BJP के बारे में कही अपने मन की बात