सामान्यत: सदन का कार्यकाल समाप्त होने से छह माह पहले चुनाव चिन्ह के लिए आवेदन करना होता है लेकिन जम्मू-कश्मीर में विधानसभा नहीं होने से अब आवेदन मांगे गए हैं। विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची का विशेष संशोधन होगा ताकि पात्र मतदाताओं के नाम जोड़ कर उसे अपडेट किया जा सके।
जम्मू-कश्मीर में करीब छह साल से राष्ट्रपति शासन है और अगस्त 2019 में अनुच्छेद-370 समाप्त करने और राज्य की जगह केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद पहली बार विधानसभा चुनाव होने हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 370 के खात्मे को सही ठहराते हुए जम्मू-कश्मीर में 30 सितंबर तक चुनाव करवाने के निर्देश दिए थे। लोकसभा चुनाव के साथ विधानसभा चुनाव करवाने की अटकलें थी लेकिन चुनाव आयोग ने सुरक्षा कारणों से इसे व्यावहारिक नहीं माना था।
जम्मू-कश्मीर में मतदान का 40 साल का रिकॉर्ड टूटने से उत्साहित मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने गत सप्ताह ही कहा था कि वहां जल्दी चुनाव प्रक्रिया शुरू की जाएगी। लोकसभा चुनाव में 58.58 प्रतिशत जबकि घाटी में 51.05 प्रतिशत मतदान हुआ था।
अनुच्छेद 370 के खात्मे के बाद केंद्र शासित प्रदेश बने जम्मू-कश्मीर को पुन: राज्य का दर्जा देने की मांग उठती रही है। केंद्र सरकार और गृह मंत्री अमित शाह कह चुके हैं कि विधानसभा चुनाव के बाद उचित समय पर जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा दिया जाएगा।
जम्मू-कश्मीर विधानसभा के परिसीमन के बाद सीटों की संख्या 114 हो गई है। इनमें 24 सीटें पाक अधिकृत कश्मीर क्षेत्र में आती हैं। शेष 90 सीटों में से 47 कश्मीर संभाग तथा 43 जम्मू संभाग में आती हैं।