अभी तक भारत में प्रत्यक्ष रूप से सोशल मीडिया यूज को लेकर कोई भी कानून नहीं है। सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम और भारतीय दंड संहिता के तहत अभी तक ट्वीट, पोस्ट, फॉरवर्ड या शेयर को अपराध घोषित करने के लिए कोई भी नियम नहीं है।
भारतीय अदालतों की टिप्पणी
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 2017 में दिल्ली उच्च न्यायालय में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली के द्वारा मानहानि दायर की थी, जिसमें आम आदमी पार्टी के नेता राघव चड्ढा को समन जारी किया गया था। इस समन को चुनौती देते हुए राघव चड्ढा ने एक याचिका दायर की थी। इसे खारिज करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति संगीता ढींगरा ने सवाल किया था कि क्या रीट्वीट करने से आपराधिक दायित्व आकर्षित होगा। इसे किसी मामले की सुनवाई के दौरान निर्धारित किया जाना है।
मद्रास उच्च न्यायालय सुना चुका है फैसला
मद्रास उच्च न्यायालय ने 2018 में फैसला सुनाया है कि सोशल मीडिया में किसी भी पोस्ट को शेयर करना उसे स्वीकार करने और उसका समर्थन करने के बराबर है।