ITR क्या है?
इनकम टैक्स रिटर्न यानी आईटीआर एक ऐसा फॉर्म है जिसमें एक व्यक्ति अपनी इनकम और उस पर लगने वाले टैक्स की जानकारी भरता है। इसके जरिए एक व्यक्ति सरकार को किसी भी फाइनेंशियल ईयर (जैसे 1 अप्रैल 2023 से 31 मार्च 2024 तक) की अपनी कमाई का विवरण और उस पर लगाए गए टैक्स का भुगतान करता हैं। इसमे सैलरी के जरिए हुई कमाई, किसी बिजनेस या प्रोफेशन के जरिए की गई इनकम, हाउस प्रॉपर्टी के जरिए इनकम, कैपिटल गेन्स के जरिए की कमाई, लॉटरी, रॉयल्टी इनकम, डिविडेंड, डिपॉजिट पर ब्याज आदि से की गई कमाई इसके दायरे में आते है।
कितने प्रकार के ITR फॉर्म होते हैं?
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के अनुसार 7 प्रकार के आईटीआर फॉर्म होते हैं। ITR-1, ITR-2, ITR-3, ITR-4, ITR-5, ITR-6, ITR-7। किसी व्यक्ति को कौन सा फॉर्म भरना होगा यह इनकम और उसके नेचर पर निर्भर करेगा। 1. ITR-1 या सहज: यह उन लोगों के लिए है जिनकी सालाना कमाई 50 लाख रुपये से कम है। यह वेतनभोगी व्यक्ति, पेंशनभोगी, एक ही घर या प्रॉपर्टी से कमाई करने वाले या और कोई अन्य स्रोत से सीमित कमाई करने वाले व्यक्तियों के लिए है। इसमे एक से ज्यादा हाउस प्रॉपर्टी से कमाई, कैपिटल गेन करने वाले, बिजनेस या अनलिस्टेड कंपनियों में निवेश, बिजनेसमैन, HNI इन्वेस्टर्स और किसी कंपनी का डायरेक्टर एस फॉर्म को नही भर सकता है।
2.ITR-2: जिनकी कमाई 50 लाख रुपये से ज्यादा है वह इस फार्म को भर सकते है। जिनकी आय वेतन, पेंशन, एक से अधिक घरों की संपत्ति से, या पूंजीगत लाभ से होती है, लेकिन व्यापार या पेशे से नहीं, वे इसका उपयोग कर सकते हैं।
3.ITR-3:इस फार्म को वह व्यक्ति और हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) भर सकते है, जो व्यापार या पेशे से आय अर्जित करते हैं। आईटीआर 2 में बताई गई कमाई भी इसमें शामिल है। इसके अलावा, अनलिस्टेड कंपनियों के शेयरों से कमाई करने वाले भी यह फॉर्म भर सकते है। साथ ही सैलरी, हाउस प्रॉपर्टी, कैपिटल गेन्स, हॉर्स रेसिंग, लॉटरी आदि से कमाई होती हो तो आईटीआर फॉर्म -3 भरा जा सकता है।
4.ITR-4 या सुगम: यह फॉर्म उन छोटे व्यवसायियों और पेशेवरों के लिए है जो अपनी आय को अनुमानित रूप से दिखाते हैं, यानी जिनकी आय का हिसाब-किताब सरल रखा जाता है। उन्हें अपनी वास्तविक आय का विवरण नहीं देना पड़ता, बल्कि सरकार द्वारा निर्धारित एक अनुमानित दर के आधार पर आय दिखा सकते हैं। यह प्रक्रिया उन्हें टैक्स फाइलिंग में आसानी देती है।
5.ITR-5: फर्में, लिमिटेड लाइबिलिटी पार्टनरशिप (एलएलपी), एसोसिएशन ऑफ पर्सन्स (एओपी), और बॉडी ऑफ इंडिविजुअल्स (बीओआई) जैसी संस्थाओं को ITR-5 फॉर्म भरना होता है। ये फॉर्म उन सभी व्यापारिक और पेशेवर संगठनों के लिए है जो व्यक्ति या एचयूएफ (हिंदू अविभाजित परिवार) नहीं हैं। यह फॉर्म उनकी आय और करों का विवरण प्रस्तुत करने के लिए आवश्यक है।
6.ITR-6: कंपनियाँ जो धारा 11 के तहत कर छूट नहीं लेती हैं, उन्हें ITR-6 फॉर्म भरना होता है। इस फॉर्म का उपयोग करने वाली कंपनियाँ आमतौर पर लाभ कमाने वाली होती हैं और उन्हें अपने व्यापार से संबंधित सभी आय का विवरण देना होता है। यह फॉर्म उन्हें अपनी वार्षिक आय और कर देनदारी की जानकारी सरकार को देने में मदद करता है।
7.ITR-7: धारा 139(4A), 139(4B), 139(4C), या 139(4D) के तहत दाखिल होने वाले ट्रस्ट, धर्मार्थ संस्थान, और शैक्षणिक संस्थान ITR-7 फॉर्म का उपयोग करते हैं। यह फॉर्म उन संगठनों के लिए है जो विशेष उद्देश्यों के लिए कर छूट का दावा करते हैं, जैसे कि धार्मिक कार्य, सामाजिक कल्याण, या शिक्षा प्रदान करना।
क्या ITR दाखिल करना जरुरी है?
भारत में निर्धारित कर कानूनों के अनुसार, आईटीआर दाखिल करना उन सभी लोगों के लिए अनिवार्य है जिनकी आय निर्धारित सीमा से अधिक है। इसके अलावा, अगर आपकी आय कर योग्य है या आपने कोई निवेश या लेन-देन किया है, तो भी ITR भरना जरूरी हो सकता है। आयकर दर पहले से तय होती है। देर से फाइलिंग पर जुर्माना तो लगेगा ही, साथ ही इससे आपको लोन या वीजा मिलने में भी दिक्कत हो सकती है।
कौन-कौन आयकर रिटर्न (ITR) फाइल करने के लिए बाध्य हैं?
1.व्यक्ति (उम्र 59 साल तक): जिनकी कुल आय एक वित्तीय वर्ष में 2.5 लाख रुपये से अधिक है।
2.वरिष्ठ नागरिक (उम्र 60-79 साल): जिनकी कुल आय 3 लाख रुपये से अधिक है।
3.अति वरिष्ठ नागरिक (उम्र 80 साल और उससे अधिक): जिनकी कुल आय 5 लाख रुपये से अधिक है।
4.सभी पंजीकृत कंपनियां: जिनका आय हो, चाहे उन्होंने वर्ष के दौरान कोई मुनाफा कमाया हो या नहीं।
5.जो लोग रिफंड क्लेम करना चाहते हैं: यदि आपने आयकर या TDS में अधिक भुगतान किया है और इसे वापस पाना चाहते हैं।
6.जो लोग विदेश में संपत्ति या वित्तीय रुचि रखते हैं: यदि आपके पास विदेश में संपत्ति या वित्तीय हिस्सेदारी है।
7.विदेशी कंपनियां: जो भारत में लेन-देन पर संधि के लाभ उठाती हैं।
8.एनआरआई (गैर-निवासी भारतीय): जिनकी एक वित्तीय वर्ष में भारत में आय 2.5 लाख रुपये से अधिक है।