इसरो ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है। इसरो ने लिखा, “SSLV-D1 ने दोनों सैटेलाइट को 356 किलोमीटर के सर्कुलर ऑर्बिट की बजाय 356×76 किलोमीटर के eliiptical ऑर्बिट में स्थापित कर दिया है। इस वजह से अब ये किसी काम के नहीं रहे। इसके पीछे के कारणों की पहचान की गई है।”
ISRO ने आगे लिखा, “विस्थापित होने का कारण: एक कमेटी इसका विश्लेषण और सिफारिश करेगी। सिफारिशों के कार्यान्वयन के साथ, ISRO जल्द ही SSLV-D2 के साथ वापसी करेगा। इसरो के चेयरमैन जल्द ही इसका पूरा विवरण देंगे।”
आमतौर पर ISRO पोलर सैटेलाइट लांच व्हीकल (PSLV), जियोस्टेशनरी सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (GSLV) के जरिए उपग्रहों को लॉन्च करता है। इस बार इसने स्मॉल सेटेलाइट लॉन्च व्हीकल से पहली लॉन्चिंग की थी। इसके जरिए उपग्रहों को प्रीतवी की निचली कक्षा (Orbit) में स्थापित किया जाना था। आज 135 किलोमीटर दूर श्रीहरिकोटा स्थित स्पेस लॉन्च सेंटर से आज ISRO ने स्मॉल सेटेलाइट लॉन्च व्हीकल मिशन (SSLV) किया था जिसमें दो उपग्रहों ने उड़ान भरी थी परंतु ये मिशन फेल रहा। हालांकि, जल्द ही इसरो ने SSLV-D2 के जरिए वापसी की भी बाद कही है।