इसरो ने कहा कि जीएसएलवी-एफ14 शनिवार शाम 5.35 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से उड़ान भरेगा। यह रॉकेट का कुल मिलाकर 16वां मिशन होगा। वहीं स्वदेशी रूप से विकसित क्रायोजेनिक इंजन का उपयोग करके इसकी 10वीं उड़ान होगी। मिशन की सफलता जीएसएलवी के लिए महत्वपूर्ण होगी। यह इस साल के अंत में पृथ्वी अवलोकन उपग्रह, एनआईएसएआर को ले जाने वाला है। इसे नासा और इसरो द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया जा रहा है।
इसरो के अनुसार, एनआईएसएआर 12 दिनों में पूरे विश्व का मानचित्रण करेगा और पृथ्वी के पारिस्थितिक तंत्र, बर्फ द्रव्यमान, समुद्र के स्तर में वृद्धि और भूकंप और सुनामी जैसे प्राकृतिक खतरों में परिवर्तन को समझने के लिए स्थानिक और अस्थायी रूप से सुसंगत डेटा प्रदान करेगा।
INSAT-3DS की मिशन डिटेल
इसरो के अनुसार शनिवार के मिशन GSLV-F14/INSAT-3DS का उद्देश्य मौजूदा परिचालन INSAT-3D और INSAT-3DR को बेहतर मौसम संबंधी अवलोकन, भूमि की निगरानी और सेवाओं की निरंतरता प्रदान करना है। मौसम की भविष्यवाणी और आपदा की चेतावनी के लिए समुद्री सतहों के साथ-साथ सैटेलाइट सहायता प्राप्त अनुसंधान और बचाव सेवाएं (SSR) प्रदान करने के लिए।
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