24 घंटे बाद स्थिति ऐसी है
इसरो चीफ एस सोमनाथ ने बताया कि “लैंडिंग के 24 घंटे बाद विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर दोनों पूरी तरह से स्वस्थ हैं और सब कुछ बहुत अच्छे से काम कर रहा है। आगे भी गतिविधियां होती रहेंगी। यहां से हम सबकुछ देख पा रहे हैं। चंद्रमा पर वायुमंडल की अनुपस्थिति के कारण वस्तुएं कहीं से भी टकरा सकती हैं। इसके साथ ही, थर्मल समस्या और कम्यूनिकेशन ब्लैकआउट की समस्या भी है। लैंडर और रोवर में पांच वैज्ञानिक उपक्रम हैं जिन्हें लैंडर मॉड्यूल के भीतर रखा गया है। चंद्रमा की सतह पर वैज्ञानिक प्रयोग करने के लिए रोवर की तैनाती चंद्र अभियानों में नई ऊंचाइयां हासिल करेगी।”
यह मिशन क्यों महत्वपूर्ण था
अब तक भारत किसी दूसरे ग्रह या उसके उपग्रह पर कोई रोवर लैंड नहीं करवाया है। चंद्रयान 3 हमारे इसी सपने को पूरा किया है। ये मिशन ISRO के आने वाले कई दूसरे बड़े मिशन के लिए रास्तों को खोलेगा। इससे विश्व पटल पर भारत का साख अंतरिक्ष के मामले में और बढ़ेगा। भारत के भविष्य के लिए यह मिशन काफी महत्वपूर्ण है। बता दें कि अब तक अमरीका, रूस और चीन को चांद की सतह पर सॉफ्ट लैन्डिंग में सफलता मिली है।
सॉफ्ट लैन्डिंग का अर्थ होता है कि किसी भी सैटलाइट को किसी लैंडर से सुरक्षित सही स्थान पर उतारें और वो अपना काम सही रूप से करने लगे। चंद्रयान-2 को भी इसी तरह चन्द्रमा की सतह पर उतारना था, लेकिन आख़िरी क्षणों में यह संभव नहीं हो पाया। दुनिया भर के 50 प्रतिशत से भी कम मिशन हैं, जो सॉफ्ट लैंडिंग होने में कामयाब रहे हैं।
इस मिशन के तीन मुख्य उद्देश्य
(1)चंद्रयान-3 के लैंडर की सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग का प्रदर्शन करना।
(2)रोवर को चांद की सतह पर चला कर दिखाना।
(3)लैंडर और रोवर की मदद से साइंटिफिक जांच-पड़ताल करना।
चंद्रमा पर ये चार काम करेगा चंद्रयान-3
1-मून पर पड़ने वाली रोशनी और रेडिएशन का अध्ययन करेगा।
2-मून की थर्मल कंडक्टिविटी और तापमान की स्टडी करेगा।
3-लैंडिंग साइट के आसपास भूकंपीय गतिविधियों की स्टडी करेगा।
4-प्लाज्मा के घनत्व और उसमें हुए बदलावों को स्टडी करेगा।