अभिकरण ने अपनी जांच में पाया था कि भारतीय मोबाइल सिम कार्ड को सक्रिय करने का काम शेख कर रहा था। इसी सिम का प्रयोग पाकिस्तानी एजेंसी आईएसएआई नौ सेना के सैन्यकर्मियों को हनीट्रैप में फंसाने के लिए कर रही थी। विजयवाड़ा के आतंकवाद निरोधक प्रकोष्ठ ने 12 जनवरी 2021 को मामला दर्ज किया। इसके बाद यह जानकारी सामने आई।
अभिकरण ने 5 जून 2023 को जब इस मामले की जांच शुरू की तो पाया कि शेख पाकिस्तानी एजेंट उस्मान के लिए कर रहा है। यह आईएसआई की तरफ से शेख का हैंडलर था। यह हैंडलर शेश से क्रिप्टो चैनल के माध्यम से संपर्क में रहा। सभी काम को करने के लिए मीर बलाज खान, अल्वेन और अन्य व्यक्तियों समेत अन्य संदिग्ध पाकिस्तानियों से शेख को धन मिल रहा था। खान और अल्वेन दोनों पाकिस्तानी नागरिक हैं और फरार हैं।