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Delhi Liquor Policy Case : डिप्टी CM मनीष सिसोदिया पांच दिन के CBI रिमांड पर

Manish Sisodia Remand, Delhi Liquor Policy Case : दिल्ली की विवादित शराब नीति केस में डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद से राजधानी में सियासी भूचाल आया हुआ है। आम आदमी पार्टी इसे राजनीतिक दवाब में की गई कार्रवाई बताते हुए सड़कों पर प्रदर्शन कर रही है। वहीँ, सीबीआई का दावा है कि उनके पास सिसोदिया के खिलाफ कई पूख्ता सबूत हैं।

Feb 27, 2023 / 08:23 pm

Prabhanshu Ranjan

Inside story of Manish Sisodia Arrest in Delhi Liquor Policy by CBI

manish sisodia in CBI Remand: मनीष सिसोदिया, दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री… आम आदमी पार्टी उन्हें देश का सर्वश्रेष्ठ शिक्षा मंत्री कहती है। राजनीतिक रूप से सिसोदिया की हैसियत AAP में केजरीवाल के बाद नंबर दो नेता की है। लेकिन इन दिनों सिसोदिया के साथ-साथ पूरी आप पार्टी बड़ी मुश्किल में घिरी है। वजह है- दिल्ली की शराब नीति। दरअसल दिल्ली की विवादित शराब नीति केस में सीबीआई ने मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार कर लिया है। उनकी गिरफ्तारी भारी राजनीतिक ड्रामे के बीच हुई। 26 फरवरी रविवार को सिसोदिया को सीबीआई मुख्यालय में पूछताछ में लिए बुलाया गया था। करीब 8 घंटे की पूछताछ के बाद सिसोदिया को सीबीआई ने अरेस्ट किया। सिसोदिया से पूछताछ के दौरान सीबीआई मुख्यालय के बाहर बड़ी संख्या में आप के नेता और कार्यकर्ता विरोध-प्रदर्शन करते दिखे। खुद दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा कि सिसोदिया की गिरफ्तारी राजनीतिक दवाब में हुई है। लेकिन जांच एजेंसी से जुड़े सूत्रों की मानें तो सिसोदिया के खिलाफ सीबीआई ने कई पुख्ता सबूत जमा किए हैं।


पांच दिनों की सीबीआई रिमांड में भेजे गए सिसोदिया-

शराब नीति केस में दिल्ली की राउज ऐवन्यू कोर्ट ने मनीष सिसोदिया को पांच दिनों की CBI रिमांड में भेज दिया है। सिसोदिया 4 मार्च तक सीबीआई के रिमांड में रहेंगे। इस दौरान सीबीआई टीम उनसे शराब नीति केस में उनसे पूछताछ करेगी। मालूम हो कि सिसोदिया को रविवार शाम गिरफ्तार किया गया था। आज दोपहर उन्हें राउज ऐवन्यू कोर्ट में पेश किया गया था।


क्या है दिल्ली की विवादित शराब नीति-

दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने 17 नवंबर 2021 को नई शराब नीति को मंजूरी दी। इसके तहत दिल्ली में शराब की सरकारी दुकानों को बंद कर दिया गया। नई नीति को लागू करने के लिए दिल्ली को 32 जोन में बांटा गया था। नई शराब नीति लाने के पीछे आप सरकार ने जो वजह बताई उसके अनुसार शराब माफियाओं पर नियंत्रण और सरकार का राजस्व बढ़ाना था। साथ ही कालाबाजारी को खत्म करना और शराब की दुकानों का समान वितरण करना था।


नई शराब नीति में क्या हुई गड़बड़ी-

इस शराब नीति में गड़बड़ी को लेकर आरोप है कि सिसोदिया ने उपराज्यपाल की मंजूरी के बिना शराब नीति में बदलाव किया। कोरोना महामारी के नाम पर शराब कारोबारियों के 144.36 करोड़ रुपए की टेंडर लाइसेंस फीस माफ की। आरोप है कि इससे शराब ठेकेदारों को फायदा पहुंचा। रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि इससे मिले
कमीशन का इस्तेमाल आम आदमी पार्टी ने पंजाब विधानसभा चुनाव में किया।

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कैसे सामने आया शराब नीति में गड़बड़ी का मामला-

अधिकारियों ने दिल्ली की शराब नीति को लेकर उपराज्यपाल को एक रिपोर्ट सौंपी थी। जिसमें दावा किया गया कि मनीष सिसोदिया ने शराब माफिया को फायदा पहुंचाने के लिए इस नीति को बनाया। इससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ है। रिपोर्ट में शराब के प्रोडक्शन, होलसेलर और बिक्री से जुड़ा काम एक ही व्यक्ति को दिए जाने पर भी सवाल उठाया गया है। रिपोर्ट मिलने के बाद दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना ने नई शराब नीति 2021-22 में भ्रष्टाचार के आरोपों की CBI जांच की सिफारिश की।


सीबीआई ने शुरू की छापेमारी, जुटाती गई सबूत-

एलजी की सिफारिश और गृह मंत्रालय की मंजूरी के बाद सीबीआई ने शराब नीति केस की जांच शुरू की। अधिकारियों के साथ-साथ सिसोदिया और शराब के कई कारोबारियों के यहां छापेमारी की गई। इस छापेमारी में सीबीआई को शुरुआत में कोई ठोस सबूत नहीं मिला। लेकिन जांच के क्रम में केस से जुड़े कई अहम सबूत मिले। जिसके आधार पर अब सिसोदिया को गिरफ्तार किया गया है।

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सिसोदिया के दफ्तर में लगे कंप्यूटर से डिलीट हुई फाइलें-

सीबीआई ने रद्द की जा चुकी शराब नीति में कथित भ्रष्टाचार के सिलसिले में गिरफ्तार सिसोदिया के कंप्यूटर से डिलीट की गई फाइलों और डेटा को फिर से हासिल कर लिया है। जनवरी में सीबीआई ने कंप्यूटर सीज किया था। यह पता चलने पर कि कुछ डेटा हटा दिया गया है, इसने कंप्यूटर को इसे पुन: प्राप्त करने के लिए फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी में भेज दिया। अब फॉरेंसिक विभाग ने उन्हें डेटा और फाइलों के साथ एक रिपोर्ट भेजी है।


व्हाट्सएप के जरिए साझा की गई फाइलें, फिर हुई डिलीट-

एफएसएल रिपोर्ट बताती है कि इन फाइलों को शुरू में व्हाट्सएप के माध्यम से साझा किया गया और फिर मनीष सिसोदिया के कंप्यूटर में सहेजा गया। बाद में इन्हें हटा दिया गया। कंप्यूटर सिसोदिया के कार्यालय से जब्त किया गया था। सिसोदिया के कार्यालय का दौरा करने से पहले सीबीआई ने सीआरपीसी की धारा 91 के तहत नोटिस दिया था सूत्र ने कहा, सिसोदिया के कंप्यूटर से साक्ष्य बरामद किए गए हैं, मामला अब और मजबूत है।

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सिसोदिया की गिरफ्तारी में दिनेश अरोड़ा की बड़ी भूमिका-

मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी में दिल्ली के बड़े बिजनेसमैन दिनेश अरोड़ा की बड़ी भूमिका कही जा रही है। सिसोदिया के बेहद करीबी अरोड़ा सरकारी गवाह बन गए। अरोड़ा ने ही सिसोदिया, विजय नायर और आप के कई बड़े नेताओं के नाम लिए। CBI के सूत्रों के मुताबिक सिसोदिया को सबूत नष्ट करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। उन पर कई फोन को नष्ट करने का आरोप है।


170 बार मोबाइल बदले, ED ने जब्त की 17 मोबाइलें-

प्रवर्तन निदेशालय यानी ED ने दिसंबर 2022 में दिल्ली की कोर्ट को बताया था कि सिसोदिया और अन्य अरोपियों ने 170 बार मोबाइल फोन बदले और फिर इन्हें तोड़ दिया। इससे 1.38 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। एक्साइज स्कैम में सबूतों को बड़े पैमाने पर नष्ट किया गया।

ED ने कहा था कि इस मामले में प्रमुख सबूत मोबाइल फोन में थे और इस मामले में कम से कम 36 आरोपियों ने मई से अगस्त 2022 तक 170 मोबाइल का यूज किया और उन्हें बाद में तोड़ दिया। ED ने 17 फोन बरामद किए। हालांकि, उसमें भी डेटा को डिलीट कर दिया गया था।

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