दरअसल, बायोलॉजी लेटर्स में 15 जून को पब्लिशड हुए एक स्टडी में सामने आया है कि e-DNA (environmental DNA) जो कोई जानवर पानी और हवा में छोड़ देते हैं, कुछ ऐसा ही कीड़े मकौड़े भी करते हैं। जर्मनी में ट्रायर विश्वविद्यालयके सह-लेखक हेनरिक क्रेहेनविंकेल ने बताया कि टीम किसी और चीज पर शोध कर रही थी लेकिन इसी दौरान इस बात का पता चला कि चाय की पत्तियों पर जो भी कीड़े मकौड़े खाते हैं तो वो अपना DNA भी छोड़ जाते हैं।
ये टीम इस बात का पता लगाने में जुटी थी कैसे eDNA की जानकारी इकट्ठा कर आर्थ्रोपोड समुदाय में समय के साथ हुए बदलाव के बारे में शोध कर रही थी। इसके लिए टीम ने चाय की विभिन्न तरह की पत्तियों को इकट्ठा किया और शोध शुरू कर दिया। ये करीब पिछले 35 दिनों से जर्मनी के अलग अलग पेड़ों और इकोसिस्टम से पत्तियां इकट्ठा कर रहे थे। इस स्टडी के दौरान चाय की पतियों पर सैंकड़ों आर्थ्रोपोड्स के DNA मिले।
यह भी पढ़े- इस स्टडी में कहा गया कि जब कोई कीड़ा पत्ती को काटता है या उसे खाता है तो वो अपने DNA के अंश छोड़ देता है। अल्ट्रावायलेट किरणों से ये DNAके अंश खत्म हो जाते हैं या बारिश में धूल जाते हैं।
ये काफी दिलचस्प है लेकिन हैरान कर देने वाला है। ये शोध बताता है कि हम जो भी चाय पी रहे हैं उनमें सैंकड़ों कीड़े मकौड़ों के eDNA होते हैं।