INS वेला ( INS Vela ) के शामिल होने से नौसेना की वॉर पावर को बढ़ावा मिलेगा। प्रोजेक्ट 75 के तहत 6 पनडुब्बियों का निर्माण होना है, जिसमें से पहले ही 3 सबमरीन कमीशन की जा चुकी है और ये चौथी सबमरीन गुरुवार को कमीशन हुई।
यह भी पढ़ेँः INS Visakhapatnam: नौसेना को मिला समुद्र का नया ‘शहंशाह’, पलक झपकते ही दुश्मन को तबाह करने की ताकत देश की चौथी स्कॉर्पीन कटेगरी की पनडुब्बी INS वेला का दो साल से अधिक तक ट्रायल किए जाने के बाद नौसेना के बेड़े में शामिल कर दिया गया है।
नौसेना प्रमुख करमबीर सिंह ने गुरुवार सुबह इसे कमीशन किया। बता दें कि भारत ने पहली बार मई 2019 में इसका परीक्षण किया था। पनडुब्बी का निर्माण मुंबई स्थित मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड ने फ्रांस के मेसर्स नेवल ग्रुप के सहयोग से किया है।
इस डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बी को मुंबई में मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड द्वारा प्रोजेक्ट 75 के तहत बनाया गया है। ये है INS Vela की खासियत
– सबमरीन में एडवांस एकॉस्टिक साइलेंसिंग टेक्नीक का इस्तेमाल किया गया है
– रेडिएटिड नॉइस लेवल भी इसमें कम है।
– सबमरीन का स्वरूप हाइड्रो-डायनामिक है
– सटीक गाइडेड निशाना लगाने की ताकत रखने वाली ये सबमरीन दुश्मन को अपंग बना सकती है
– इस सबमरीन से एक ही समय में टॉरपीडो और ट्यूब के इस्तेमाल के जरिए एंटी शिप मिसाइल से अंडर वॉटर और सतह दोनों जगह निशाना लगाया जा सकता है
– स्कॉर्पीन कटेगरी की यह पनडुब्बी एंटी-सरफेस वॉर, एंटी-सबमरीन वॉर, खुफिया जानकारी जमा करने, माइन बिछाने, निगरानी जैसे कई मिशन को अंजाम दे सकती है।
– इसे अल्ट्रामॉडर्न टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से बनाया गया है।
– आईएनएस वेला के टॉप साइलेंसिंग तकनीक, लो रेडिएटेड नॉइज लेवल, हाइड्रो-डायनामिक शेप, निर्देशित हथियारों का इस्तेमाल कर दुश्मन पर अटैक करना इसे आसान और खास बनाता है।
– सबमरीन में एडवांस एकॉस्टिक साइलेंसिंग टेक्नीक का इस्तेमाल किया गया है
– रेडिएटिड नॉइस लेवल भी इसमें कम है।
– सबमरीन का स्वरूप हाइड्रो-डायनामिक है
– सटीक गाइडेड निशाना लगाने की ताकत रखने वाली ये सबमरीन दुश्मन को अपंग बना सकती है
– इस सबमरीन से एक ही समय में टॉरपीडो और ट्यूब के इस्तेमाल के जरिए एंटी शिप मिसाइल से अंडर वॉटर और सतह दोनों जगह निशाना लगाया जा सकता है
– स्कॉर्पीन कटेगरी की यह पनडुब्बी एंटी-सरफेस वॉर, एंटी-सबमरीन वॉर, खुफिया जानकारी जमा करने, माइन बिछाने, निगरानी जैसे कई मिशन को अंजाम दे सकती है।
– इसे अल्ट्रामॉडर्न टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से बनाया गया है।
– आईएनएस वेला के टॉप साइलेंसिंग तकनीक, लो रेडिएटेड नॉइज लेवल, हाइड्रो-डायनामिक शेप, निर्देशित हथियारों का इस्तेमाल कर दुश्मन पर अटैक करना इसे आसान और खास बनाता है।
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इस सीरीज की पहली पनडुब्बी INS कलवरी को अक्टूबर 2015 में लॉन्च किया गया था। जबकि दिसंबर 2017 में इसे कमीशन किया गया था। इसी तरह दूसरी पनडुब्बी INS खंडेरी को जनवरी 2017 में टेस्ट करने के बाद सितंबर 2019 में कमीशन किया गया। वहीं तीसरी पनडुब्बी INS करंज को जनवरी 2018 में लॉन्च करने के बाद मार्च 2021 यानी इसी वर्ष कमीशन किया गया।