ट्राई की अपील पर हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला
हाईकोर्ट ने भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) की अपील पर यह फैसला सुनाया। ट्राई ने एकल पीठ के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें केंद्रीय सूचना आयोग के ट्राई को फोन ट्रेकिंग की सूचना देने के निर्देश को बरकरार रखा गया था। बता दें कि लंबे समय में फोन टैपिंग-ट्रेकिंग का मामले पर राजनीतिक होती आई है। कोर्ट के इस फैसले पर अब इन पर विरोम लग सकता है।
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सॉलिसिटर जनरल की ओपीनियन के प्रति नहींं मिल सकती
दिल्ली हाईकोर्ट ने माना है कि देश के सॉलिसिटर जनरल द्वारा केंद्र सरकार और विभागों को दी गई विधिक राय (ओपीनियन) की प्रति वैश्वासिक नातेदारी के तहत आने के कारण आरटीआई एक्ट की धारा 8 -1(ई) के तहत प्रकटन से छूट प्राप्त होने के देय नहीं है। जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा कि सॉलिसिटर जनरल और केंद्र सरकार के बीच का रिश्ता विश्वासी और लाभार्थी का है। अदालत ने कहा कि सॉलिसिटर जनरल का कर्तव्य है कि वह केंद्र सरकार और उसके विभागों के लाभ के लिए अच्छे विश्वास के साथ काम करें, जहां लाभार्थी का पूर्व पर भरोसा और निर्भरता मौजूद है। जस्टिस प्रसाद ने 2011 में दिए केंद्रीय सूचना आयोग के एक आदेश को रद्द करते हुए ये टिप्पणियां की। आयोग ने केंद्रीय कानून मंत्रालय को तत्कालीन सॉलिसिटर जनरल द्वारा 2007 में दिए गए नोट या राय की प्रति देने का आदेश दिया था।