Indian Railway: ट्रेन के डिब्बों का रंग क्यों होता लाल और नीला, जानिए दिलचस्प वजह
Indian Railway Interesting Facts: भारतीय रेलवे में हम सबने लाल और नीले रंग के कोच को देखा होगा। आइए जानते हैं रेल के कोच लाल और नीले रंग के क्यों बनाए जाते हैं-
Red and Blue Train Coaches: भारतीय रेलवे (Indian Railway) लोगों के आवागमन का सबसे प्रमुख और सस्ता साधन है। सभी ने कभी न कभी ट्रेन का सफर जरुर किया होगा। हम सबने नीले रंग और लाल रंग की ट्रेन जरूर देखी होगी। क्या कभी आपके मन में विचार आया होगा कि ट्रेन के डिब्बों में नीले और लाल रंग का ये अंतर क्यों होता है। आइए आज हम आपको बताएंगे कि रेल के कोच लाल और नीले रंग के क्यों बनाए जाते हैं? दोनों रंग की ट्रेनों में क्या अंतर होता है।
2 रंग के होते हैं ट्रेन के डिब्बे
हम सबने लाल और नीले रंग के कोच को देखा होगा। आपको बता दें कि कोच का ये रंग डिब्बे के प्रकार को बताता है। भारतीय ट्रेन में दो तरह के कोच होते हैं। नीले रंग का कोच ICF या इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (Integral Coach Factory) कहलाता है। वहीं लाल रंग के कोच को लिंक हॉफमैन बुश (Linke-Hofmann-Busch) या LHB कहते हैं। दोनों तरह के डिब्बों में सिर्फ रंग का ही नहीं और भी कई तरह के डिफरेंस होते हैं।
इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF)क्या होता है
ICF का कारखाना तमिलनाडु के चेन्नई में है। इस कोच फैक्ट्री में नीले रंग के कोच बनाए जाते हैं। इस कोच फैक्ट्री की स्थापना आजादी के बाद 1952 में हुई थी। इंटीग्रल कोच फैक्ट्री लोहे से बने नीले रंग के कोच का निर्माण करती है। इन तरह के कोच के एसी-3 क्लास में 64 सीटें और स्लीपर क्लास में 72 सीटें होती हैं। बता दें कि दुर्घटना के समय इस तरह के कोच में ये खतरा होता है कि ये एक के ऊपर एक चढ़ सकते हैं, जिससे एक्सिडेंट का दायरा बढ़ जाता है। इन कोच की मैक्सिमम पर्मिसिबल गति 110 किलोमीटर प्रति घंटा ही होती है। साथ ही इनमें एयर ब्रेक का इस्तेमाल किया जाता है।
लिंक हॉफमैन बुश (LHB) क्या है
लिंक हॉफमैन बुश के कोच को साल 2000 में जर्मनी से भारत लाया गया था। LHB कोच को बनाने की फैक्ट्री पंजाब के कपूरथला में है। इस कोच के स्लीपर क्लास में 80 सीटें होती हैं जबकि एसी-3 क्लास में 72 सीटें होती हैं। इन कोच की मैक्सिमम पर्मिसिबल स्पीड 200 किलोमीटर प्रति घंटा है और ऑपरेशनल स्पीड 160km प्रति घंटा है। LHB कोच स्टेनलेस स्टील से बने होते हैं और इसमें डिस्क ब्रेक का इस्तेमाल किया जाता है ये कोच सेंटर बफर काउलिंग सिस्टम से लैस होता है। इसके कारण दुर्घटना के वक्त ये कोच एक दूसरे के ऊपर नहीं चढ़ते।
कौन सा कोच होता है ज्यादा सेफ
LHB कोच ICF कोच की तुलना में 1.7 मीटर ज्यादा लंबे होते है, यही वजह है कि इसमें बैठने की जगह ज्यादा होती है। लाल रंग के LHB कोच की स्पीड भी तेज होती है। दुर्घटना के मामले में भी लाल रंग वाले कोच, नीले रंग वाले कोच की तुलना में सेफ होते हैं। इसके अलावा ये कोच स्टेनलेस स्टील से बने होते हैं इसलिए ICF कोच से कम वजनी होते हैं।
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