रक्षामंत्री ने परीक्षण को ऐतिहासिक पल बताते हुए कहा कि भारत उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो गया है, जिनके पास ऐसी महत्त्वपूर्ण सैन्य प्रौद्योगिकी को विकसित करने की क्षमता है। आवाज की गति से पांच गुना तेज रफ्तार वाली हाइपरसोनिक मिसाइल को आधुनिक सैन्य प्रौद्योगिकी, प्रतिरोधक और मारक क्षमता से लैस किया गया। चूंकि यह करीब 6,174 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से वार करती है, दुश्मन के लिए इसका पता लगाना मुश्किल होगा। मिसाइल को भारतीय सशस्त्र बलों की सभी सेवाओं के लिए बनाया गया है। परीक्षण डीआरडीओ और सशस्त्र बलों के वरिष्ठ वैज्ञानिकों की मौजूदगी में किया गया। परीक्षण के बाद डीआरडीओ ने बताया कि मिसाइल को विभिन्न रेंज सिस्टम द्वारा ट्रैक किया गया। फ्लाइट डेटा से पुष्टि हुई कि परीक्षण सफल रहे। इस सफलता पर रक्षामंत्री के साथ रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह और डीआरडीओ अध्यक्ष डॉ. समीर कामत ने टीम को बधाई दी।
स्वदेशी ‘ब्रह्मास्त्र’
हाइपरसोनिक मिसाइल हैदराबाद के डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम मिसाइल परिसर में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और उद्योग भागीदारों की मदद से स्वदेशी रूप में विकसित की गई। इसे इस तरह डिजाइन किया गया है कि 1,500 किलोमीटर से ज्यादा दूरी तक पेलोड ले जा सके।ये हैं खूबियां
– ध्वनि से पांच गुना ज्यादा तेज गति। -किसी भी परिस्थिति में ऑपरेशन को अंजाम देगी। -दुश्मन के रडार को चकमा देने की क्षमता। -हवा में अपना रास्ता खुद बनाने में सक्षम।बैलिस्टिक मिसाइल के मुकाबले ज्यादा शक्ति
1. हाइपरसोनिक मिसाइल ऐसी हथियार प्रणाली है, जो 5 मैक या इससे ज्यादा रफ्तार से उड़ान भरती है। गतिशीलता इसे बैलिस्टिक मिसाइल से अलग करती है। इसे इच्छित लक्ष्य तक ले जाया जा सकता है। 2. जब दूसरा बल उपलब्ध न हो या पहुंच में न हो, तब इस मिसाइल से लंबी दूरी के ठिकाने पर वार किया जा सकता है। खतरों के खिलाफ यह बैलिस्टिक मिसाइल के मुकाबले ज्यादा सुरक्षित है।
3. तेज गति और उड़ान की कम ऊंचाई के कारण हाइपरसोनिक मिसाइल का पता लगाना काफी चुनौतीपूर्ण है। रडार तब तक इसका पता नहीं लगा पाते, जब तक यह लक्ष्य के काफी नजदीक नहीं पहुंच जाती।