सबसे उत्कृष्ट और स्वच्छ ईंधन है हाइड्रोजन उन्होंने कहा, ग्रीन हाइड्रोजन एक उत्कृष्ट स्वच्छ ऊर्जा वेक्टर है जो रिफाइनिंग उद्योग, उर्वरक उद्योग, इस्पात उद्योग, सीमेंट उद्योग और भारी वाणिज्यिक परिवहन क्षेत्र में हमारे कार्बन फूट प्रिंट को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। सिंह के हवाले से कहा गया है कि ईंधन सेल सिर्फ हाइड्रोजन का उपयोग करता है और बस को जरूरी ऊर्जा देने के लिए बिजली पैदा करने के लिए इस ईंधन का अंतिम विसर्जित उत्पाद हवा और बस से निकलने वाला पानी ही पानी है, इसलिए यह संभवत: परिवहन का सबसे पर्यावरण के अनुकूल साधन है।
सालभर में एक डीजल बस सालाना उत्सर्जित करती है 100 टन CO2 इस मौके पर जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि तुलना के लिए, लंबी दूरी के मार्गों पर चलने वाली एक डीजल बस आमतौर पर सालाना 100 टन CO2 का उत्सर्जन करती है और भारत में ऐसी दस लाख से अधिक बसें हैं। उन्होंने कहा कि हाइड्रोजन ईंधन सेल ट्रकों की परिचालन लागत भी डीजल पर चलने वाले ट्रकों की तुलना में कम है और इससे देश में माल ढुलाई में क्रांति आ सकती है।
भारी वाहनों से होता है 12 से 14 प्रतिशत उत्सर्जन “लगभग 12-14 प्रतिशत CO2 उत्सर्जन डीजल से चलने वाले भारी वाहनों से होता है। हाइड्रोजन ईंधन सेल वाहन इस क्षेत्र में ऑन-रोड उत्सर्जन को खत्म करने के लिए उत्कृष्ट साधन प्रदान करते हैं,” उन्होंने कहा।
लेह में दौड़ेंगी 5 हाइड्रोजन फ्यूल बसें गौरतलब है कि नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने के अपने प्रयासों के तहत केंद्र सरकार लद्दाख के लेह क्षेत्र में पायलट आधार पर हाइड्रोजन से चलने वाली बसों का परिचालन शुरू करने जा रही है। यह पहली बार होगा जब भारत में सार्वनिक परिवहन के लिए फ्यूल सेल इलेक्ट्रिक वाहनों का इस्तेमाल किया जाएगा। शुरुआती चरण में पांच फ्यूल सेल बसें लेह में दौड़ेंगी।