स्वतंत्रता दिवस की 75वीं सालगिरह (75th Independence Day 2021) पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने देश हित में तमाम योजनाओं को लॉन्च करने का ऐलान किया। इसमें कुपोषण दूर करने के लिए सरकार की सभी प्रमुख राशन वितरण योजनाओं के तहत फोर्टिफाइड चावल देने का ऐलान भी शामिल है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कुपोषण और पोषक तत्वों की कमी से हमारे बच्चों की वृद्धि प्रभावित होती है। इसे देखते हुए सरकार ने फैसला किया है कि सभी गरीबों को अब फोर्टिफाइड चावल दिया जाएगा। बता दें कि हमारे शरीर में भोजन के जरिए पोषक तत्व विटामिन और मिनरल्स पहुंचते हैं। मगर नई लाइफस्टाइल में बदलते खाने के तौर-तरीकों और गरीब वर्ग के असंतुलित भोजन की वजह से इनकी कमी बढ़ती जा रही है। इसे दूर करने के लिए कंपनियों की ओर से बनाए गए विटामिन और मिनरल्स को खाद्य पदार्थों में प्रोसेसिंग के जरिए मिलाया जाता है यानी आपके खाने में अलग से विटामिन और मिनरल्स पहुंचाए जा रहे हैं। इस पूरी प्रकिया को फूड फोर्टिफिकेशन कहा जाता है।
यह भी पढ़ें
- Independence Day 2021: क्या है अमृत महोत्सव और देशभर में क्यों है इसकी धूम, अगले दो साल तक चलेगा यह समारोह
प्रधानमंत्री मोदी ने चावल में फोर्टिफिकेशन की बात कही है यानी चावल में अलग से विटामिन और मिनरल मिलाए जाएंगे, जो शरीर में पोषक तत्वों की कमी को दूर करेंगे। भारत में लोगों में पोषक तत्वों की क्या स्थिति है, इस पर अभी कोई सटीक आंकड़ा नहीं है। इसके लिए सरकार विभिन्न एजेंसियों के सर्वेक्षण के आधार पर जो आंकड़े बताते है, उसके मुताबिक करीब 70 प्रतिशत लोगों में पोषक तत्वों की कमी है। वहीं, राष्ट्रीय पोषण संस्थान की रिपोर्ट पर गौर करें तो देश के 40 प्रतिश घरों में बच्चों को मिलने वाला भोजन असंतुलित है। पांच साल से कम उम्र के 55 प्रतिशत बच्चों का वजन सामान्य से कम है। इसी तरह पांच साल की उम्र तक के बच्चों में विटामिन ए की मात्रा सामान्य से कम है। 52 प्रतिशत बच्चों की लंबाई सामान्य से कम है। वहीं, 35 प्रतिशत पुरूष और महिलाएं ऊर्जा की कमी का सामना कर रहे हैं। इसके अलावा लोगों को भोजन में प्रोटीन, आयरन, कैल्शियम, थियामिन की मात्रा लगातार कम होती जा रही है। नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे-4 की रिर्पोर्ट के मुताबिक भारत में पांच साल से कम उम्र के करीब 38 प्रतिशत बच्चों की लंबाई सामान्य से कम है। महिलाओं और लड़कियों में से करीब 53 प्रतिशत लोग एनिमिया से पीडि़त है। एनिमिया से पीडि़त महिलाएं जब बच्चे को जन्म देती हैं, तो उनमें भी एनिमिया होने की आशंका रहती है।
यह भी पढ़ें
-