आदिवासी संस्कृति में महिलाओं का नेतृत्व
झारखंड महिला प्रधान राज्य है। आदिवासी संस्कृति का पूरे राज्य पर गहरा असर है।. आदिवासी संस्कृति में महिलाएं नेतृत्वकर्ता होती हैं। घर-परिवार से लेकर बाजार तक में वह निर्णायक भूमिका में होती हैं। झारखंड की राजधानी रांची से लेकर दूसरी जगहों पर इसकी झलक देखी जा सकी है। रांची के बाजार में सब्जी बेचती महिलाएं मिलेंगी तो पेट्रोल पंप पर पेट्रेाल देने का काम करती महिलाएं दिख जाएंगी। रेस्तरां में महिलाएं काम करती हैं तो महिलाएं ऑटो रिक्शा भी चलाती हैं। यानी महिलाएं ही आम जीवन की धुरी कही जा सकती हैं।
मंईयां के जवाब में गोगो दीदी
महिलाओं की ताकत को भांपते हुए ही झारखंड में चुनाव से ठीक पहले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मंईयां योजना की शुरुआत की। सरकार ने 18 से 50 साल की महिलाओं को हर महीने एक हजार रुपए देना शुरू किया। दोबारा सरकार बनने पर इसे ढाई हजार रुपए करने का वादा किया है। इससे मुकाबले के लिए भाजपा ने गोगो दीदी योजना के तहत हर महीने 2100 रुपए देने का वादा घोषणा पत्र में किया। महिलाओं को इस तरह की योजनाओं से अपने पाले में करने की होड़ इसलिए भी है 81 सीटों में 32 सीटों पर महिलाएं निर्णायक भूमिका में मानी जाती हैं।
महाराष्ट्र में खुशी और नाराजगी
महाराष्ट्र में आम महिलाएं खासकर कमजोर तबके की महिलाएं लाडकी बहन योजना से काफी संतुष्ट नजर आती हैं। लेकिन जिनको लाभ नहीं मिला वे नाखुश है। कुछ को ऐसे पैसा बांटना ठीक नहीं लगता। मुंबई महानगर में इस बारे में कई महिलाओं से बात हुई। मुब्रा-कलवा में शांति बाई भोंसले ने कहा अच्छा लगा कि शिंदे भाऊ ने हमारे बारे में सोचा। हम भी उनका साथ देंगे। पास खड़ी राधिका कांबले ने आगे जोड़ा महायुति की फिर से सरकार बनी तो 1500 की जगह 2100 रुपए मिलेंगे। दूर से इन बातों को सुन रही देविका शर्मा पास आकर बोली तो क्या कांग्रेस तो 3000 रुपया देने वाली है। सरकार कब तक पैसा देगी। हमें काम देना चाहिए। क्या पैसा देने से महायुति को फायदा होगा, इस पर शांति बाई बोली, शहर में तो कम पर गांवों में बहुत फायदा होगा। वर्ली के प्रेमनगर में अनाज का पोटका उठाए जा रही बुजुर्ग महिला देव बाई को पूछा तो बोला पैसा मिला है। मोदी ने दिया है। हम जैसे गरीबों की बहुत मदद होती है। वोट किसको दोगी तो बोल पड़ी मशाल को। यह बताने पर कि पैसा तो मिलिंद देवड़ा की पार्टी की सरकार ने दिया है तो महिला निरुत्तर हो गई। माहिम के शिवाजी पार्क में संतोष पवार बोली पैसा तो मिला है पर हमें तो जरूरत नहीं थी, जिनको जरूरत है उनको देना चाहिए।