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फगुनिया के प्यार में दशरथ मांझी ने उठा ली थी छेनी-हथौड़ी, चीर दिया पहाड़ का सीना

Gaya: 22 साल तक एक शख्स हाथ में हथौड़ा थामे पहाड़ पर प्रहार करता रहा। किसी की नजर में वो सनकी था तो किसी की नजर में दीवाना।

गयाAug 17, 2024 / 03:24 pm

Prashant Tiwari

साल 2015 में एक फिल्म आई थी- मांझी ‘द माउंटन मैन’। नवाजुद्दीन सिद्दीकी स्टारर फिल्म की कहानी बिहार के गया से जुड़ी थी। फिल्म का एक डायलॉग था, ‘जब तक तोड़ेंगे नहीं, तब तक छोड़ेंगे नहीं’ । इस डायलॉग पर सिनेमा हॉल में खूब तालियां बजी और लोग यह जानने की कोशिश में जुट गए कि आखिर नवाजुद्दीन सिद्दीकी के निभाए किरदार दशरथ मांझी की कहानी क्या थी? लोग यह भी जानना चाह रहे थे कि क्या सच में कोई इंसान अपनी पत्नी के लिए पहाड़ का सीना चीर सकता है? दशरथ मांझी टॉक ऑफ द टाउन बन गए। गरीब दशरथ मांझी की जिंदगी की कहानी ने कुछ को रुलाया तो कुछ को प्रेरित भी किया।
22 साल तक पहाड़ के सीने पर करते रहे प्रहार

22 साल तक एक शख्स हाथ में हथौड़ा थामे पहाड़ पर प्रहार करता रहा। किसी की नजर में वो सनकी था तो किसी की नजर में दीवाना। लेकिन, दशरथ मांझी इन सभी से बेपरवाह था। उसके इरादे में दम था वो तो बस अपने साथ हुई ज्यादती को किसी और के साथ होते नहीं देखना चाहता था। फगुनिया और दशरथ की कहानी को रिपीट होते नहीं देखना चाहता था।
गरीब शहंशाह के प्यार की कहानी

आखिर मांझी की पत्नी फगुनिया के साथ हुआ क्या था जिसके चलते वो हथौड़ा चलाने को मजबूर हो गए? जुनून ऐसा कि अपने भविष्य को भी ताक पर रख दिया। जो कुछ था उसे भी त्याग दिया। जिनसे जीवन चलता था उनका मोह भी छोड़ दिया। जिस पहाड़ का सीना चीरने के लिए बड़ी-बड़ी मशीनों का इस्तेमाल होता है उस पर मामूली औजारों से ही प्रहार करता गया। धैर्य का दामन नहीं छोड़ा। जो काम 1960 में शुरू किया उसे 1982 में सफलता से पूरा भी किया। एक गरीब शहंशाह की अपनी बेगम के प्रति प्यार की कहानी है मांझी और फगुनिया की।
55 किलोमीटर की दूरी से जिंदगी की जंग हार गई थी फगुनिया

‘माउंटेन मैन’ बनने की कहानी शुरू होती है एक हादसे से। दशरथ मांझी की पत्नी फगुनिया हर दिन की तरह एक दिन दशरथ मांझी के लिए खाना और पानी लेकर पहाड़ के रास्ते जा रही थी। इस दौरान उनका पैर फिसला और सिर से पानी का मटका गिरकर फूट गया। पैर में चोट भी लग गई। पत्नी की बेबसी दशरथ मांझी से देखी नहीं गई। सीमित संसाधनों को जुटा कर जैसे-तैसे अस्पताल की ओर चल निकले। लेकिन फगुनिया 55 किलोमीटर की दूरी से जिंदगी की जंग हार गई। अस्पताल 55 किलोमीटर दूर था। अपनी पत्नी फगुनिया की मौत से दशरथ मांझी काफी आहत हुए।
फगुनिया की मौत ने बदल दिया दशरथ की जिंदगी का मकसद

पत्नी की मौत के बाद दशरथ मांझी पहाड़ काटने इसलिए निकल पड़े क्योंकि इसके कारण अस्पताल का फासला 55 किलोमीटर हो गया था। फगुनिया की मौत ने सोचने पर मजबूर किया कि अगर पहाड़ों के बीच रास्ता होता तो अस्पताल तक पहुंचने के लिए महज 15 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती, और फगुनिया बच सकती थी। गरीब, अनपढ़ लेकिन धुन के पक्के दशरथ ने अपनी बुद्धि का प्रयोग किया।
In love for Fagunia Dashrath Manjhi ripped apart mountain in bihar
बकरियों को बेचकर खरीदा छेनी-हथौड़ी

बकरियों को बेचकर छेनी-हथौड़ी खरीदी और गहलौर घाटी के कई फीट लंबे और कई मीटर ऊंची पहाड़ों को अकेले काटना शुरु कर दिया। वह रोज सुबह छेनी-हथौड़ी लेकर पहाड़ काटने चले जाते थे, लोग उन्हें पागल कहकर बुलाने लगे। फगुनिया के दशरथ ने किसी की नहीं सुनी और 22 साल तक पहाड़ काटकर रास्ता बना दिया। एक ऐसा रास्ता जिसने गांव को अस्पताल से जोड़ दिया।
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फिल्म ‘मांझी: ‘द माउंटेन मैन’ से मिली पहचान

दशरथ मांझी को वास्तविक पहचान और प्रसिद्धि 2015 में रिलीज फिल्म ‘मांझी: ‘द माउंटेन मैन’ से मिली। उनकी कहानी ने लोगों को प्रेरित किया और उन्हें ‘बिहार का माउंटेन मैन’ कहा जाने लगा। दशरथ मांझी की मृत्यु 17 अगस्त 2007 में हुई, लेकिन उनकी विरासत आज भी मुस्कुरा रही है।
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