विकास के केंद्र में नई टेकनोलॉजी
एआइ पर ज्यादा हो रहा निवेश-रिपोर्ट के अनुसार, भारत में काम करने वाली कंपनियां उभरती हुई तकनीकों जैसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआइ), रोबोटिक्स, ऑटोमेटिक सिस्टम और ऊर्जा तकनीक में भारी निवेश कर रही हैं। भारतीय नियोक्ता अपने वैश्विक समकक्षों की तुलना में तेजी से तकनीक अपना रहे हैं।
तकनीक से बदलेगा कामकाज
भारत में लगभग 35 प्रतिशत कंपनियों को उम्मीद है कि सेमीकंडक्टर और कंप्यूटिंग तकनीकें उनके कामकाज को बदल देंगी। इसमें आगे बताया गया है कि लगभग 21 प्रतिशत कंपनियों का अनुमान है कि क्वांटम और एन्क्रिप्शन तकनीकें भी इसी तरह का प्रभाव डालेंगी।डेटा स्पेशलिस्ट की बड़ी भूमिका
-विश्व आर्थिक मंच ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इन बदलावों से बिग डेटा स्पेशलिस्ट, एआइ और मशीन लर्निंग स्पेशलिस्ट और सुरक्षा प्रबंधन स्पेशलिस्ट जैसे पदों की मांग में भारी वृद्धि होने की उम्मीद है। ये देश में सबसे तेजी से बढ़ने वाली नौकरियों में बड़ी भूमिका निभाएंगे।कंपनियों का प्रतिभा पूल पर जोर
-भारत में काम करने वाली कंपनियां विविध प्रतिभा पूल का उपयोग करने की योजना बना रही हैं। 67 प्रतिशत नियोक्ता इस रणनीति पर जोर दे रहे हैं, जबकि वैश्विक स्तर पर 47 प्रतिशत नियोक्ता ही इस रणनीति को महत्त्व देते हैं।दुश्मनों की अब खैर नहीं! सेना में साउंड प्रूफ नैनो ड्रोन की एंट्री, जानिए फ्लाइंग टॉय के फीचर्स
यूरोप में प्रतिभा की कमी बनी चुनौती
-डिजिटलीकरण, जलवायु परिवर्तन और जीवन की बढ़ती लागत 2025-2030 की अवधि में यूरोप में श्रम बाजार को प्रभावित करेंगे और इसके कारण व्यापक बदलाव का रुझान दिख रहा है।-यूरोप के श्रम बाजार में प्रतिभा और कौशल की कमी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। लगभग 54 प्रतिशत नियोक्ता प्रतिभा में गिरावट की आशंका जता रहे हैं, जो वैश्विक मानदंड से काफी अधिक है।
अवसरों के बढने की मुख्य बाधाएं | भारत | दुनिया |
1- श्रम बाजार में पर्याप्त कौशल का अभाव | 65 फीसदी | 63 फीसदी |
2- कार्य संस्कृति और बदलाव में झिझक | 47 फीसदी | 46 फीसदी |
3- प्रतिभा को आकर्षित करने में विफलता | 40 फीसदी | 37 फीसदी |
4- पर्याप्त डेटा और तकनीकी ढांचे का अभाव | 36 फीसदी | 32 फीसदी |
5- अवसरों की अपर्याप्त समझ | 32 फीसदी | 25 फीसदी |
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