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‘काश पुरुषों को भी होते पीरियड्स, तभी वे समझ पाते’: सुप्रीम कोर्ट

जस्टिस बीवी नागरत्ना ने कहा, “काश पुरुषों को मासिक धर्म होता, तभी वे समझ पाते।”

नई दिल्लीDec 04, 2024 / 02:26 pm

Anish Shekhar

सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट को राज्य में महिला सिविल जजों की सेवाएं समाप्त करने और उन्हें बहाल करने से इनकार करने के लिए फटकार लगाई। मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस बीवी नागरत्ना ने कहा, “काश पुरुषों को मासिक धर्म होता, तभी वे समझ पाते।” उनके और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की दो जजों की बेंच ने कहा कि जब जज मानसिक और शारीरिक रूप से पीड़ित हों तो मामलों के निपटान की दर कोई पैमाना नहीं हो सकती। जनवरी में शीर्ष अदालत ने 2023 में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा छह जजों की सेवा समाप्ति का स्वत: संज्ञान लिया था।

क्या था मामला?

बेंच मंगलवार को जज अदिति शर्मा के मामले की सुनवाई कर रही थी। इसने 2019 में उनकी नियुक्ति के बाद से उनके काम के बारे में दी गई रिपोर्ट का हवाला दिया। बेंच ने पाया कि अपनी सेवा के चार वर्षों के दौरान उन्हें हमेशा अच्छी कार्य क्षमता वाली न्यायिक अधिकारी के रूप में आंका गया और उन्होंने अपने फैसले और आदेश कर्तव्यनिष्ठा से दिए।
बेंच को बताया गया कि शर्मा का गर्भपात हो गया था और उनका कोविड टेस्ट भी पॉजिटिव आया था। उनके भाई को भी उनकी सेवा के दौरान कैंसर का पता चला था। पीठ ने कहा कि न्यायाधीश को सुधार का अवसर नहीं दिया गया, जबकि उनमें ऐसा करने की क्षमता थी।

न्यायाधीशों की नौकरी समाप्त करने के फैसले पर करें पुनर्विचार

न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा, “‘बर्खास्त-बर्खास्त’ कहना और घर चले जाना बहुत आसान है। हम भी इस मामले की विस्तार से सुनवाई कर रहे हैं; क्या वकील कह सकते हैं कि ‘हम धीमे हैं’।” बर्खास्तगी के आदेश कब पारित किए गए? प्रशासनिक समिति द्वारा परिवीक्षा अवधि के दौरान और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की पूर्ण-न्यायालय बैठक के बाद उनके प्रदर्शन को असंतोषजनक पाए जाने के बाद विधि विभाग ने न्यायाधीशों को बर्खास्त कर दिया था। जुलाई, 2024 में पीठ ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय से प्रभावित न्यायाधीश के अभ्यावेदन पर एक महीने के भीतर न्यायाधीशों की नौकरी समाप्त करने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा था।

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