प्रश्न – लोकसभा अध्यक्ष के रूप में आपका कार्यकाल बहुत सफल और माना जाता है। सत्ता पक्ष और विपक्ष, दोनों ने इसकी प्रशंसा की है, आप अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि क्या मानते हैं?
उत्तर – मेरे कार्यकाल में बहुत सारी चुनौतियों के बावजूद संसद का संचालन सुचारु रूप से हुआ। आपको आश्चर्य होगा की पिछले 25 वर्षों में सदन की उत्पादकता मेरे कार्यकाल में सर्वाधिक रही। और यह इसलिए हो पाया कि मुझे सदन के अंदर सभी पक्षों का अधिकतम सहयोग मिला। सदन के नेता माननीय प्रधानमंत्री जी, गृह मंत्री जी एवं मंत्रीपरिषद के सदस्यों और प्रतिपक्ष का भी पूरा सहयोग मिला। कोरोना जैसी चुनौती के बीच संसद का सुचारु कार्य मेरी सबसे बड़ी उपलब्धि रही। इसके अलावा संसद और राज्य विधान सभाओं के बीच अभूतपूर्व तालमेल रहा। कोविड काल की चुनौती के बाद भी प्रधानमंत्री जी की प्रेरणा और मार्गदर्शन से हमने रिकॉर्ड समय में संसद के नए भवन भवन का निर्माण किया। मैं विशेष रूप से प्रधानमंत्री जी, गृह मंत्री जी,संसदीय कार्य मंत्री और सदन में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता का धन्यवाद करता हूं।
प्रश्न – कोई ऐसी उपलब्धि बताइए जो भविष्य में भी आसंदी के लिए एक मिसाल बन गई हो।
उत्तर – मेरा प्रयास रहा कि मैं सदन का संचालन सांसदों के दृष्टिकोण से करूं। सदन में माननीय सदस्यों को अपनी बात रखने का पूरा मौका मिले। उन्हें कोई बाधा न आए। इसके लिए यदि आवश्यकता पड़े तो नियमों में परिवर्तन भी किए जाएं। मैंने इसी दृष्टिकोण से काम किया। मेरा प्रयास रहा कि सभी सांसदों विशेषत: नए सांसद, महिला सांसदों को अपनी बात रखने का पूरा मौका मिले। यह प्रयास सफल रहे। कुल 543 सदस्यों में से 540 की भागीदारी सदन के कामकाज में रही। प्रश्नकाल पर मैंने कार्यपालिका की जवाबदेही सुनिश्चित करने पर विशेष जोर दिया। कई मौकों पर मंत्रियों ने प्रश्नकाल में सभी 20 प्रश्नों का उत्तर दिया। शून्यकाल और नियम 377 के तहत उठे मामलों कार्यपालिका का जवाब समय पर दिलाने के प्रयास किए गए। सदस्यों के लिए विधेयकों पर ब्रीफिंग सत्र आयोजित किये गए, उन्हें शोध सामग्री उपलब्ध कराई गई, आईटी का अधिकतम उपयोग किया गया। मुझे प्रसन्नता है कि कार्यपालिका के सहयाेग से इन सभी नवाचारों के अच्छे परिणाम सामने आए।
प्रश्न – कई बार ऐसे अवसर आए होंगे जब आपके सामने कोई राजनीतिक दुविधा खड़ी हुई होगी, इनसे आप कैसे निपटे?
उत्तर – जब आप अध्यक्ष के आसन पर होते हैं तो आपका दायित्व है कि सदन का संचालन नियम प्रक्रिया एवं सदन की उच्च परंपराओं के अनुसार हो। सदन में सांसद जनता की आशाओं और आकांक्षाओं को पूरा करने की दिशा में काम करें। संविधान ने अध्यक्ष के लिए कुछ उत्तरदायित्व, शक्तियां एवं अधिकार निर्धारित किये हैं, उनके दायरे में रहते हुए तथा दलगत भावना से ऊपर उठ कर कार्य किया जाए। यदि हम इन मौलिक सिद्धांतों को याद रखें तो कोई दुविधा नहीं होती। पक्ष हो या प्रतिपक्ष सभी अपनी विचारधारा के अनुसार देश हित में ही काम करना चाहते हैं। मैंने भी हमेशा यही प्रयास किया कि नियमों के दायरे में रह कर सदन का संचालन हो और किसी सदस्य से भेदभाव न हो।
प्रश्न – संवैधानिक पद के निर्वहन में सरकार की ओर से आपको कितना सहयोग मिला?
उत्तर – सरकार और संसद के बीच उचित तालमेल हमारे संसदीय लोकतंत्र की प्राण वायु है। संसदीय लोकतंत्र की शक्ति ही यही है कि इसमें पक्ष और विपक्ष दोनों राष्ट्र हित में सहयोग की भावना से काम करते हैं। कार्यपालिका का सहयोग संसदीय लोकतंत्र की सफलता की बुनियाद है। मैं विशेष रूप से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का धन्यवाद करना चाहूंगा जिनका समर्थन, मार्गदर्शन, प्रेरणा और सहयोग मुझे निरंतर मिलता रहा। गृह मंत्री जी ने मुझे हमेशा प्रोत्साहित किया और सरकार और सदन के बीच उचित समन्वय बनाने का काम किया। अन्य मंत्रियों
ने भी सहयोग दिया। सदस्यों के विषयों पर कार्यपालिका से समय पर जवाब मिले और मुद्दाें का समाधान हो। यह सरकार के सहयोग के बिना संभव नहीं था।
प्रश्न– विपक्ष का आपके प्रति व्यवहार कैसा रहा?
उत्तर – विपक्ष और अध्यक्ष पीठ का बड़ा रोचक रिश्ता है। विपक्ष का काम होता है सरकार से सवाल करना। मेरी कोशिश रही कि नियमों एवं परंपराओं के अंदर विपक्ष के सदस्यों को मर्यादित रूप से अपना सवाल पूछने की पूरी स्वतंत्रता हो। राजनैतिक कारणों से सदन में गतिरोध भी उत्पन्न किये जाते हैं, परंतु हम ये भी याद रखें कि सदन शाश्वत है। हम रहें न रहें, सदन हमेशा रहेगा। कई ऐसे मौके भी आए जब सदन की गरिमा के लिए कठिन फैसले भी किये गए। लेकिन मोटे तौर पर अपने कार्यकाल में मुझे विपक्ष से पूरा सहयोग मिला, कई जटिल मुद्दों पर संवाद से आम सहमति बनी। मेरा सभी सदस्यों से एक परिवार की तरह संबंध बना है। सदन की आखिरी बैठक में पक्ष-प्रतिपक्ष के सदस्यों के मेरे बारे में रखे विचार मेरी सबसे बड़ी पूंजी है।
प्रश्न – कोई कठिन पल याद आता है जिसे आप भूलना चाहेंगे?
उत्तर – कोविड महामारी के समय हमने कठिन चुनौतियों के बाद भी सदन चलाया। महामारी ने हमारे कई साथियों को हमसे छीन लिया। इस बात की पीड़ा सदैव मन में रहती है। इसके अलावा सदन की गरिमा के लिए सदस्यों पर कठोर निर्णय भी लिए गए। इस बात की भी पीड़ा तो है लेकिन एक संतोष भी है कि सदन की उच्च गरिमा को सुरक्षित रखने के लिए ऐसा किया गया।
प्रश्न – आप किस तरह का साहित्य पढ़ना पसंद करते हैं?
उत्तर – मुझे देश के महान नेताओं और देश की आजादी में योगदान देने वाले नेताओं की जीवनी में दिलचस्पी रही है। विशेष रूप से महात्मा गांधी, सरदार पटेल, सुभाष चंद्र बोस, रवींद्र नाथ टैगोर, केसरी सिंह बारहट जैसे महानायकों के जीवन के बारे में। इसके अतिरिक्त मुझे धार्मिक एवं आध्यात्मिक ग्रंथों को पढ़ना और उनकी शिक्षाओं को अपने जीवन में शामिल करना अच्छा लगता है। भगवान श्रीराम, कृष्ण, महावीर, बुद्ध, जैसे युगपुरुषों के जीवन मेरे लिए प्रेरणादायी है। श्रीमदभागवत गीता के जीवन दर्शन ने मुझे बहुत प्रभावित किया है। इसके अलावा मुझे देश में संसदीय लोकतंत्र के विकास के बारे में भी पढ़ना पसंद है।
प्रश्न – आपके स्पीकर बनने पर प्रधानमंत्री जी ने कोटा में आपके सामाजिक पक्ष का विशेष उल्लेख किया था, इन पांच वर्षों में आपने संवैधानिक, राजनैतिक और सामाजिक दायित्वों में कैसे संतुलन किया?
उत्तर – प्रधानमंत्री जी ने स्पीकर पद पर आसीन कर मुझे इतनी बड़ी जिम्मेदारी दी, मेरे लिए यह अत्यंत सम्मान एवं गौरव का विषय था कि मेरे नेता ने मुझे इस योग्य समझा। मैंने भी दायित्व के उचित निर्वहन का पूरा प्रयास किया। लेकिन लोकसभा अध्यक्ष यहां की जनता की भी मुझसे कुछ आशाएं रहती हैं। मैंने यही कोशिश की कि अध्यक्ष पद के दायित्वों के साथ ही मेरे क्षेत्र के नागरिकों की सभी समस्याओं का भी समाधान हो। मैं स्वयं तथा मेरी टीम के लोग निरंतर कोटावासियों के संपर्क में रहे और मुझे खुशी है कि मुझे अपने क्षेत्र की सेवा करने और वहां की समस्याओं के समाधान में सफलता मिली। कोविड महामारी के दौरान मैंने ऑक्सीजन, दवाइयों की उपलब्धता व चिकित्सा के पूरे प्रयास किए। कोटा-बूंदी में चल रहे सामाजिक कार्य भी सुचारू रूप से चले।
प्रश्न – अपने संसदीय क्षेत्र कोटा को आप कितना समय दे पाए और क्या विशेष उपलब्धि रही ?
उत्तर – कोटा बूंदी से मेरा दिल का रिश्ता है और यहां के लोग मेरे परिवार के सदस्य हैं। कोविड काल में कोटा में रह रहे छात्रों के लिए उचित प्रबंध का प्रयास किया, रेल और हवाई जुड़ाव सुनिश्चित करने के कई प्रयास किए। कोटा एयरपोर्ट प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर दिया गया है। क्षेत्र में शिक्षा, पोषण, इंफ्रास्ट्रक्चर सहित सभी क्षेत्रों में तीव्र गति से कार्य हुए हैं। किसानों के लिए कृषि महोत्सव आयोजित किये गए, लोन मेला, श्रम मेला आयोजित किये गए। ईस्ट वेस्ट कॉरीडोर और दिल्ली मुंबई एक्स्प्रेस वे से कोटा बूंदी और महानगरों के बीच संपर्क मजबूत किया गया, नौनेरा बांध पेयजल एवं सिंचाई प्रोजेक्ट क्रियान्वित किया गया। कोटा में इनडोर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स और डिजिटल प्लैनेटोरीयम पर काम चल रहा है। कोटा बूंदी में सभी सेक्टर में विकास का काम तेज गति से चल रहा है।
प्रश्न – आप एक पारिवारिक व्यक्ति है, इन पांच वर्षों में आप उनके लिए कैसे समय निकाल पाए?
उत्तर – मेरा देश, मेरा राज्य, मेरा कोटा यह सब मेरा परिवार है। अपने परिवार के बीच रह कर मैंने अपने सभी कार्य किये हैं। मेरा परिवार मेरा बल है। उनके सहयोग और उनके सपोर्ट के बिना मैं कुछ नहीं कर सकता। अपने परिवार से मैं कभी भी दूर नहीं होता हूं। मेरी पत्नी और मेरी दोनों बेटियों ने मुझे पूरा सहयोग दिया। सदन के अंदर और सदन के बाहर मेरी जो भी उपलब्धियां रही हैं, वह उनके सहयोग के बल पर ही हैं।
प्रश्न – संसद के नए भवन में प्रवेश आपके कार्यकाल की एक स्मरणीय घटना रही है, इस पर क्या कहेंगे?
उत्तर – संसद के नए भवन का निर्माण स्वतंत्र भारत के इतिहास की सबसे उल्लेखनीय घटना है। प्रधानमंत्री मोदी जी का विजन है जिन्होंने अपना कार्यकाल संभालने के बाद से ही इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास पर ज़ोर दिया। मेरे लिए और इस लोकसभा के सभी सदस्यों के लिए गौरव का विषय है कि हमें संविधान सदन (पुराना संसद भवन) में भी काम करने का अवसर मिला और नए संसद भवन में भी। मेरा सौभाग्य है कि माननीय प्रधान मंत्री जी ने मुझे यह महत्वपूर्ण दायित्व दिया। यह भी खुशी है कि नई संसद के पहले सत्र में नारी शक्ति वंदन जैसा ऐतिहासिक विधेयक पारित किया गया और बाद में नागरिक सुरक्षा संहिता जैसे युगांतरकारी कानून पारित किये गए।