पत्थरबाजी पर लगा विराम
आर्टिकल 370 हटने के बाद घाटी में काफी बदलाव देखने को मिला है। पहले जम्मू-कश्मीर में पत्थरबाजी की घटनाएं आम आती थी। अब इस पर विराम लग गया है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में कहा था कि 2018 में यहां पत्थरबाजी की 1767 घटनाएं दर्ज की गईं थी। 2021 तक के गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 2019 में जनवरी से जुलाई के बीच पत्थरबाजी के 618 मामले दर्ज सामने आए। जनवरी से जुलाई 2020 के बीच घटकर 222 दर्ज हुई। साल 2021 के शुरुआती 7 महीनों में ऐसी घटनाओं की संख्या घटकर 76 रह गई। साल 2023 में यह आंकड़ा जीरो हो गया।
बंदी और हड़ताल की घटनाएं
पत्थरबाजी की तरह हड़ताल की घटना में भी काफी अंतर देखने को मिल रहा है। 2018 तक अक्सर बंदी और हड़ताल के मामले सामने आते रहते थे। सॉलिसिटर जनरल ने बताया कि 2018 में बंद और हड़ताल की 52 घटनाएं हुईं। 2023 में यह आंकड़ा शून्य हो गया।
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आतंकी घटनाएं
गृहमंत्री अमित शाह ने 6 दिसंबर को बताया कि 2004-2014 (यूपीए) की तुलना 2014-2019 (एनडीए) से करें तो आतंकी घटनाओं में 70 फीसदी की कमी दर्ज की गई है। इसके साथ ही घाटी में होने वाली आम नागरिकों मौतों का आंकड़ा 59 फीसदी तक घटा है। पेलेट गन और लाठीचार्ज के कारण नागरिकों की चोटों में सबसे ज्यादा गिरावट आई। जनवरी-जुलाई 2019 में 339 नागरिक घायल हुए थे। 2021 में इनकी संख्या घटकर मात्र 25 रह गई है।
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कश्मीरी प्रवासियों को वापस घाटी में लाने का प्लान
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, 46,631 कश्मीरी प्रवासी परिवार जिनमें 1,57,967 व्यक्ति शामिल हैं। राहत संगठन (प्रवासी), जम्मू-कश्मीर के साथ पंजीकृत हैं, जिन्हें सुरक्षा कारणों से घाटी से पलायन करना पड़ा था। इसके अलावा, कई कश्मीरी प्रवासी परिवार देश के अन्य हिस्सों में चले गए हैं। सरकार ने कश्मीरी प्रवासियों को घाटी में वापस लाने के लिए कई कदम उठाए हैं।