scriptचक्रवातों के ‘आइला’, ‘अम्फान’, ‘असानी’ क्यों हैं अलग-अलग नाम, भविष्य के साइक्लोन के नाम अभी से हैं तय | How Cyclones gets its name? Brief History and process of Naming Storms | Patrika News
नई दिल्ली

चक्रवातों के ‘आइला’, ‘अम्फान’, ‘असानी’ क्यों हैं अलग-अलग नाम, भविष्य के साइक्लोन के नाम अभी से हैं तय

दुनिया भर में एक समय में एक से अधिक चक्रवात हो सकते हैं और ये एक सप्ताह या उससे अधिक समय तक जारी रह सकते हैं। इसलिए, भ्रम से बचने, आपदा जोखिम संबंधी जागरूकता, प्रबंधन और राहत कार्य में मदद के लिए प्रत्येक उष्णकटिबंधीय तूफान को एक नाम दिया जाता है।

नई दिल्लीMay 12, 2022 / 07:20 am

Archana Keshri

चक्रवातों के 'आइला', 'अम्फान', 'असानी' क्यों हैं अलग-अलग नाम, भविष्य के साइक्लोन के नाम अभी से है तय

चक्रवातों के ‘आइला’, ‘अम्फान’, ‘असानी’ क्यों हैं अलग-अलग नाम, भविष्य के साइक्लोन के नाम अभी से है तय

बंगाल की खाड़ी में उठने वाले चक्रवात ‘असानी’ को लेकर मौसम विभाग लगातार अलर्ट जारी कर रहा है। चक्रवाती तूफान ‘असानी’ ओडिशा, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश के तटीय क्षेत्रों में रहने वाले लाखों लोगों के लिए यह बड़ा संकट बन गया है। इस भीषण चक्रवात को ‘असानी’ नाम श्रीलंका ने दिया है। श्रीलंका में बोले जाने वाली सिंहली भाषा में असानी या ‘क्रोध’ सीजन का पहला चक्रवाती तूफान होगा. क्‍या कभी आपने सोचा कि तूफानों को उनके नाम देता कौन है? नामकरण की शुरुआत कैसे हुई? आइये आपको बताते हैं कैसे और कैसे करता है तूफानों का नामकरण।
क्‍यों रखा जाता है चक्रवातों का नाम?

तूफानों के नाम रखने की मुख्य वजह है कि इनको लेकर आम लोग और वैज्ञानिक स्पष्ट रह सकें। संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) के अनुसार, किसी विशेष भौगोलिक स्थान या पूरी दुनिया में एक समय में एक से अधिक चक्रवात हो सकते हैं, और यह एक सप्ताह या उससे अधिक समय तक चल सकते हैं। इसलिए, भ्रम से बचने, आपदा जोखिम संबंधी जागरूकता, प्रबंधन और राहत कार्य में मदद के लिए प्रत्येक उष्णकटिबंधीय तूफान को एक नाम दिया जाता है।

क्या है चक्रवात को नाम देने का नियम?


WMO के मुताबिक 10 अलग-अलग क्षेत्रों में आने वाले ट्रॉपिकल साइक्लोन का नाम उस महासागर क्षेत्र में काम करने वाली ट्रॉपिकल साइक्लोन रीजनल बॉडी तय करती है। नाम तय करते समय शब्द का छोटा और सहज उच्चारण का होना जरूरी है। इसके साथ ही वह आम बोलचाल की भाषा का शब्द होना चाहिए, जो बड़े पैमाने पर विवादास्पद न हो। एक बार किसी नाम का प्रयोग हो जाने के बाद उसे दोबारा नहीं दोहराया जाएगा। तूफान के नाम में अधिकतम आठ अक्षर हो सकते हैं। किसी भी सदस्य देश के लिए अपमानजनक नहीं होना चाहिए या जनसंख्या के किसी भी समूह की भावनाओं को आहत नहीं करना चाहिए।

कब हुई थी नामकरण की शुरुआत?


अटलांटिक क्षेत्र में तूफानों के नामकरण की शुरुआत 1953 की एक संधि से हुई। हालांकि, हिंद महासागर क्षेत्र के आठ देशों ने भारत की पहल पर इन तूफानों के नामकरण की व्यवस्था 2004 में शुरू की। इन आठ देशों में बांग्लादेश, भारत, मालदीव, म्यांमार, ओमान, पाकिस्तान, थाईलैंड और श्रीलंका शामिल हैं। साल 2018 में ईरान, कतर, सउदी अरब, यूएई और यमन को भी जोड़ा गया।

चक्रवातों के नाम की लिस्ट में जाने कितने नाम है शामिल?


तूफानों के नामकरण के लिए वर्ष 2020 में 169 नामों की एक नई सूची बनाई गई थी। जिसमें 13 देशों ने 13-13 नाम सुझाए थे। इससे पहले 8 देशों ने 64 नाम दिए थे। भारत ने ‘गति’, ‘मेघ’, ‘आकाश’, बांग्लादेश ने ‘अग्नि’, ‘हेलेन’ और ‘फानी’ व ‘पाकिस्तान’ ने ‘लैला’, ‘नरगिस’ और ‘बुलबुल’ नाम दिए थे।

क्‍या होगा अगले चक्रवात का नाम?

असानी के बाद बनने वाले चक्रवात को सितारंग कहा जाएगा, जो थाईलैंड द्वारा दिया गया नाम है। भविष्य में जिन नामों का इस्तेमाल किया जाएगा उनमें भारत के घुरनी, प्रोबाहो, झार और मुरासु, बिपरजॉय (बांग्लादेश), आसिफ (सऊदी अरब), दीक्सम (यमन) और तूफान (ईरान) और शक्ति (श्रीलंका) शामिल हैं।

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