उन्होंने कहा, हाल ही मैंने सुधार गृहों के महानिरीक्षक (विशेष) और जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण के सचिव के साथ एक महिला सुधार गृह का दौरा किया। वहां एक महिला कैदी गर्भवती थी और कम से कम 15 अन्य महिला कैदी अपने बच्चों के साथ रह रही थीं। इन बच्चों का जन्म जेल में ही हुआ। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस टी.एस. शिवगणनम और जस्टिस सुप्रतिम भट्टाचार्य की खंडपीठ ने मामले को दूसरी खंडपीठ को सौंप दिया। इस मामले पर सोमवार को सुनवाई की संभावना है।
अदालत भी हैरान
खंडपीठ ने नोट्स को रिकॉर्ड में लेते हुए कहा, एमिकस क्यूरी ने जिस मामले का उल्लेख किया है, वह गंभीर है। हैरानी की बात है कि जेल में महिला कैदी गर्भवती हो रही हैं और 196 बच्चे जेलों में रह रहे हैं। पश्चिम बंगाल में सुधार सेवाओं से जुड़े एक वरिष्ठ आइपीएस अधिकारी ने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है कि जेलों में महिलाएं गर्भवती हो रही हैं। अगर यह संज्ञान में आता है तो निश्चित रूप से इस पर गौर करेंगे।
10 फीसदी महिला कैदी
पश्चिम बंगाल की 60 जेलों में एक जनवरी, 2024 तक करीब 26,000 कैदी रह रहे थे। इनमें से करीब 10 फीसदी महिलाएं हैं। जनवरी तक राज्य की जेलों में कम से कम 1,265 विचाराधीन महिला कैदी और 448 दोषी बंद थीं। करीब 174 महिला कैदी उम्रकैद की सजा काट रही हैं।