दोनों ही उग्रवादी संगठन लंबे समय से त्रिपुरा में सक्रिय थे और अलगाववादी गतिविधियों को बढ़वा दे रहे थे लेकिन सरकार के सशस्त्र बलों के बढ़ते दबाव और इसके साथ ही सरकार की मानवतावादी नीतियों के प्रभाव में दोनों ही संगठनों ने हिंसा का मार्ग छोड़कर बातचीत का मार्ग चुनाव किया। इसके बाद प्रकिया के तहत दोनों संगठन का सरकार के साथ समझौता हुआ।इससे न केवल त्रिपुरा में शांति आएगी बल्कि बाहरी ताकतों को भी मुंहतोड़ जवाब मिलेगा।