मुर्शिदाबाद में करीब पांच सौ ऐतिहासिक धरोहरें हैं। इनमें बमुश्किल करीब 50 इमारतें ऐसी हैं, जिन्हें राज्य या केंद्र की एजेंसियां संरक्षित कर रही हैं। भागीरथी नदी के दोनों किनारों पर बसे अजीमगंज और जियागंज में भी अधिकांश इमारतें हैं जो लगातार जर्जर होकर अपने अस्तित्व को खोने की कगार पर हैं। इतिहासकार बताते हैं कि रानी भवानी ने अपने दौर में कई मंदिरों और इमारतों का निर्माण कराया। इनमें कुछ इमारतें और मंदिर तो राज्य और केंद्र की एजेंसियों ने अपने संरक्षण में ले लिए लेकिन, देखरेख के अभाव में अधिकांश इमारतें धूल फांक रही हैं।
उत्तराधिकारियों के साथ मामले अटके
जानकार बताते हैं कि इसकी बड़ी वजह कुछ तो संपत्तियों का विवाद रहा होगा और कुछ राज्य व केंद्र के सीमित संसाधन भी एक प्रमुख कारण है। इन संपत्तियों को संरक्षित करने के लिए अपने अधिकार में लेना जरूरी है और इसे लेकर उत्तराधिकारियों के साथ मामले अटके होंगे। हालांकि अब भी कई ऐसी इमारतें हैं जिन्हें संरक्षित करने के प्रयास किए जाएं तो उन्हें बचाया जा सकता है। एएसआइ देशभर में क्लास वन की प्राइम प्रॉपर्टीज को ही संरक्षित कर पा रही है। अन्य इमारतों को राज्य और स्थानीय प्रशासन के भरोसे छोड़ दिया जाता है। यह भी पढ़ें
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रानी भवानी का योगदान
रानी भवानी बंगाल की शक्तिशाली महिला शासकों में से एक थीं, जिनका जीवन धर्म, प्रशासन, और जनकल्याण के लिए समर्पित था। 18वीं शताब्दी के मध्य में बंगाल की राजनीति और समाज में उनका बड़ा दखल था। वह नटोर राज्य (अब बांग्लादेश में) की महारानी थीं। उनका शासनकाल 18वीं सदी के मध्य में था, जब बंगाल मुगल साम्राज्य और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के नियंत्रण के बीच संघर्ष कर रहा था।लोगों में जागरूकता जरूरी
हमारी अपनी सीमाएं हैं। हमारी भूमिका तब शुरू होती है जब कोई आए और कहे कि इसे हम संरक्षित नहीं कर पा रहे आप इसकी देखभाल करें। कुछ संपत्तियों को लेकर स्वामित्व के विवाद के चलते संरक्षित नहीं किया जा पा रहा तो कुछ संपत्तियों को लेकर केंद्र और राज्य की एजेंसियां गंभीर नहीं हैं। हेरिटेज सोसायटी लोगों में यह जागरूकता लाने का प्रयास कर रही है कि ऐतिहासिक धरोहरों को नष्ट होने से बचाने के उपाय किए जाएं।-प्रदीप चोपड़ा, प्रेसिडेंट, मुर्शिदाबाद हेरिटेज डवलपमेंट सोसायटी