ज्ञानवापी परिसर की सर्वे रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद हिंदू पक्ष सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर परिसर के सील वजूखाने का एएसआइ सर्वे कराने का अनुरोध करेगा। कुछ अन्य पुख्ता साक्ष्य एकत्र करने के लिए अयोध्या की श्रीराम जन्मभूमि जैसी खुदाई की मांग भी की जाएगी। हिंदू पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा कि वजूखाने के वैज्ञानिक पद्धति से सर्वे से ही यह वास्तविकता सामने आएगी कि वहां की आकृति शिवलिंग है या फव्वारा।
नागर शैली में बना था काशी विश्वनाथ मंदिर
एएसआइ की सर्वे रिपोर्ट में ज्ञानवापी को नागर शैली का मंदिर बताया गया है। इसी शैली में काशी विश्वनाथ मंदिर बना है। रिपोर्ट के मुताबिक ज्ञानवापी भी भव्य हिंदू मंदिर था। मंदिर का ढांचा हू-ब-हू अयोध्या के राम मंदिर से मिल रहा है। प्रवेश द्वार के बाद दो मंडप और गर्भगृह की परिकल्पना की गई है। अयोध्या के राम मंदिर में भी प्रवेश के बाद मंडप और सबसे अंतिम छोर पर गर्भगृह स्थापित है। ज्ञानवापी में पूर्वी दीवार के आगे भी मंदिर की संभावना जताई जा रही है।
हालांकि यह दीवार बंद होने के कारण उसके आगे का सर्वे एएसआइ की टीम नहीं कर सकी। हिंदू पक्ष का कहना है कि परिसर में जहां भी खुदाई कर साक्ष्य एकत्र करने की जरूरत है, उसके लिए सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया जाएगा। खुदाई इस तरह की जाएगी कि ज्ञानवापी के मौजूदा ढांचे को किसी तरह से नुकसान नहीं पहुंचे। हमारा उद्देश्य सिर्फ इतना है कि वैज्ञानिक तरीके से यह साबित हो कि ज्ञानवापी का सच क्या है?
मुस्लिम पक्ष ने कहा, हम कोर्ट के फैसले का करेंगे इंतजार
ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने ज्ञानवापी मामले में विहिप की मांग को खारिज कर दिया है। विहिप ने मांग की है कि मुस्लिम ज्ञानवापी को हिंदुओं को सौंप दें। मौलाना ने कहा कि मुसलमान कानून का सम्मान करते हैं। ज्ञानवापी मामला कोर्ट में विचाराधीन है। एएसआइ की सर्वे रिपोर्ट पर कोर्ट ने अभी कोई फैसला नहीं दिया है। एएसआइ की सर्वे रिपोर्ट पर हम आंख बंद कर भरोसा नहीं कर सकते। हम कोर्ट के फैसले का इंतजार करेंगे।