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Hijab Row: सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाई कोर्ट से हिजाब याचिकाएं ट्रांसफर करने से किया इनकार

Hijab Row: कर्नाटक में कुछ दिन से चल रहा हिजाब विवाद अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। कांग्रेस नेता व सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट से इस पर सुनवाई की मांग की। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाई कोर्ट से हिजाब याचिकाएं ट्रांसफर करने से इनकार कर दिया है।

Feb 10, 2022 / 03:15 pm

Arsh Verma

Hijab Row: हिजाब का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, कपिल सिब्बल बोले- तुरंत हो सुनवाई

Hijab Row: कर्नाटक में कुछ दिन से चल रहा हिजाब विवाद गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। कांग्रेस नेता व सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट से इस पर सुनवाई की मांग की थी। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाई कोर्ट से हिजाब याचिकाएं ट्रांसफर करने से इनकार कर दिया है। इससे पूर्व हिजाब विवाद पर बोलते हुए कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी थी कि कर्नाटक में हालात बिगड़ रहे हैं। स्कूलों-कॉलेज बंद करना पड़े हैं। हिंसक प्रदर्शन जारी हैं। बेंगलुरु में धरा 144 लगा दी गयी है। लड़कियों से छेड़छाड़ हुई है। इसलिए इस मामले को सबरीमाला मंदिर विवाद की तरह देखना चाहिए। सबरीमाला मंदिर विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की बेंच ने सुनवाई की थी, उसी तरह इसे भी सुना जाना चाहिए। बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट ने उनकी दलील को स्वीकार नहीं किया है।
हिजाब विवाद पर सुनवाई करेगा तीन जजों का पैनल, बेंगलुरु शहर में धारा 144 लागू

कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने राज्य के कुछ विश्वविद्यालय-कॉलेजों में हिजाब के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने वाली याचिकाओं पर एक बेंच की सुनवाई के लिए खुद सहित तीन न्यायाधीशों के पेनल का गठन किया है। इससे पूर्व बुधवार को अदालत की सिंगल बेंच ने याचिकाओं को बड़ी पीठ को सौंपने का फैसला करते हुए कहा था कि इस मामले में बड़े संवैधानिक मुद्दे शामिल हैं।अब इस पर तीन जजों का पैनल सुनवाई करेगा। मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी की अध्यक्षता वाली, तीन न्यायाधीशों की फुल बेंच में न्यायमूर्ति कृष्णा एस दीक्षित, जिन्होंने मामले को एक बड़ी पीठ को संदर्भित किया, और न्यायमूर्ति खाजी जेबुन्निसा मोहिउद्दीन भी शामिल होंगे। न्यायमूर्ति मोहिउद्दीन एक महिला न्यायाधीश हैं जिन्होंने पिछले साल मार्च में उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में शपथ ली थी। उधर, छात्रों के उग्र प्रदर्शन के चलते बेंगलुरु शहर में शैक्षणिक संस्थानों के द्वार से 200 मीटर के दायरे में विरोध के खिलाफ धारा 144 लागू कर दी गई है।

इस मामले में याचिकाकर्ता की ओर से बुधवार को वरिष्ठ वकील देवदत्त कामत पेश हुए हैं। वहीं, अधिवक्ता साजन पूवैया कॉलेज विकास समिति (सीडीसी) की ओर से पेश हुए हैं। इस मामले पर कॉलेज विकास समिति (सीडीसी) की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता साजन पूवैया ने इस मामले पर अंतरिम राहत की आलोचना की। उन्होंने कहा, हर साल राज्य कॉलेज विकास समिति इसपर विचार करते हैं और विचार विमर्श के बाद ही किसी भी निर्णय को पारित किया जाता है। आज कहा जा रहा है कि राज्य ने इस मामले को बढ़ा दिया है परंतु ये सच नहीं है। वर्तमान में CDC की एक यूनिफॉर्म की नीति का पालन किया जा रहा है। इसपर कोर्ट ने कहा कि ‘सीडीसी का निर्णय भी अपीलीय है।’

जस्टिस हेगड़े ने कहा, ‘एक किशोर लड़की को अपनी शिक्षा के साथ समझौता करने के लिए मजबूर न करें। उनके शिक्षकों पर छोड़ दें उनका मार्गदर्शन।’

हेगड़े ने ये भी कहा कि, ‘यूनिफॉर्म न पहनने पर नियम किसी जुर्माने की भी बात नहीं करते हैं। ये मुद्दा यूनिफॉर्म का नहीं है इन छात्रों ने यूनिफॉर्म पहना हुआ है।’
इससे पहले कोर्ट ने कहा था कि ‘सड़कों पर उतरना, नारेबाजी करना, स्टूडेंट्स का एक दूसरे पर हमला करना उचित नहीं है।’ मंगलवार को सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने मुस्लिमों के पवित्र धार्मिक ग्रंथ कुरान का भी उल्लेख किया था।


कर्नाटक में हिजाब विवाद के बीच पुलिस विभाग ने नई गाइडलाइन जारी की है। इसके मुताबिक, बेंगलुरु में स्कूल, प्रि-यूनिवर्सिटी कॉलेज, डिग्री कॉलेज या अन्य शैक्षणिक संस्थानों के गेट के 200 मीटर के दायरे में किसी भी तरह के जमावड़े या विरोध-प्रदर्शन की अनुमति नहीं होगी। यह गाइडलाइन तत्काल प्रभाव से दो हफ्तों तक लागू रहेगी।



बता दें कि कर्नाटक के स्कूल-कॉलेजों में हिजाब पहनकर कक्ष में प्रवेश की अनुमति नहीं है। इसी को लेकर बवाल मचा है। यही नहीं इस मामले में कई जिलों के स्कूलों और कॉलेजों में छात्रों के समूह आमने सामने या गए हैं। हिजाब के विरोध में हिन्दू छात्र-छात्राएं भगवा गमछा और दुपट्टा डालकर परिसर में एंट्री की मांग कर रहे हैं। ऐसे में कर्नाटक सरकार ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए 3 दिनों के लिए स्कूल और कॉलेज बंद कर दिए हैं।
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कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने हिजाब विवाद पर कहा था कि ‘चाहे वह बिकिनी हो, घूंघट हो या फिर जींस या फिर हिजाब। यह महिला को तय करना है कि उसे क्या पहनना है। यह हक उनको भारत के संविधान ने दिया है। महिलाओं को प्रताड़ित करना बंद करो।’
इसके बाद मुख्यमंत्री ने बसवराज बोम्मई कहा कि छात्राएं बाहर जो चाहे पहनें, लेकिन स्कूल मे ड्रेस कोड में ही आना होगा।

वहीं, इससे पहले जिस तरह से कर्नाटक में हिजाब विवाद को लेकर मंगलवार को भारी विरोध प्रदर्शन देखने को मिला उससे राज्य में स्थिति चिंताजनक देखने को मिली। कर्नाटक उच्च न्यायालय और मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने सभी छात्रों और लोगों से शांति और शांति बनाए रखने की अपील की थी। वहीं, प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने दावा किया कि एक रिपोर्ट के अनुसार कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई) ने हिजाब मामले को तूल दिया है। उन्होंने ये भी दावा किया कि CFI इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) की छात्र शाखा है।

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