प्रोजेक्ट हिमांक के मुख्य अभियंता ब्रिगेडियर विशाल श्रीवास्तव ने कहा है कि , “हम मड न्योमा में हवाई क्षेत्र में खड़े हैं और जहां तक रनवे का सवाल है, यह लगभग पूरा हो चुका है। अंतिम रूप से काम चल रहा है और बहुत जल्द ही हम वायुसेना के साथ संयुक्त निरीक्षण करेंगे। हमें उम्मीद है कि इस साल के अंत तक पूरा रनवे बनकर तैयार हो जाएगा और हम इस पर ट्रायल लैंडिंग करेंगे…एयरफील्ड का निर्माण 13,700 फीट की ऊंचाई पर किया गया है।
23 अगस्त को ही रक्षा मंत्री ने रखी थी आधारशिला
इस रनवे पर सबसे भारी सैन्य विमान, फिक्स्ड विंग, रोटरी विंग, लड़ाकू विमान और परिवहन विमान उतर सकेंगे। इससे हमें बहुत मदद मिलेगी।” उन्होंने यह भी बताया कि रनवे के निर्माण से हैनली, लोमा और न्योमा के सामाजिक-आर्थिक विकास को भी बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा, “यहां सर्दियों के चरम पर तापमान माइनस 30 से माइनस 35 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है। इसलिए हमारे पास काम करने का मौसम मई से नवंबर तक सिर्फ पांच से छह महीने का है।” ब्रिगेडियर ने यह भी याद दिलाया कि इस विशेष रनवे की आधारशिला रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 23 अगस्त को रखी थी। ब्रिगेडियर श्रीवास्तव ने कहा “हमने इस रनवे का निर्माण रिकॉर्ड समय में किया है। यह भारत का सबसे ऊंचा रनवे होगा…हमने यह सुनिश्चित करने के लिए आधुनिक तकनीक, आधुनिक मशीनों, कोल्ड सेटिंग कंपाउंड, विभिन्न प्रकार के एडिटिव्स का उपयोग किया है कि गुणवत्तापूर्ण निर्माण किया जाए और गति के कारण गुणवत्ता से समझौता न हो। हाल ही में, भारत और चीन ने राजनीतिक, कूटनीतिक और सैन्य स्तरों पर कई दौर की बातचीत के बाद वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ पूर्वी लद्दाख में देपसांग और डेमचोक से सैनिकों को हटाने के लिए समझौता किया है।