मगर इसके लिए सरकार ने कुछ शर्तें भी रखी हैं। सरकार का कहना है कि झारखंड में आरक्षण का लाभ लेने के बाद उन्हें अपने मूल राज्य बिहार में आरक्षण का लाभ नहीं लेना होगा। इसके लिए उन्हें शपथ पत्र भरकर बिहार के संबंधित जिले को पूरी सूचना देनी होगी। अगर व्यक्ति दोनों राज्यों से आरक्षण का लाभ लेता है तो इसे गैर कानूनी माना जाएगा।
इस संबंध में कार्मिक प्रशासनिक सुधार राजभाषा विभाग ने संकल्प जारी कर दिया है। कार्मिक विभाग ने सिविल अपील में पंकज कुमार बनाम स्टेट ऑफ झारखंड एवं अन्य में सर्वोच्च न्यायालय द्वार 19 अगस्त, 2021 को पारित न्यायादेश के आलोक में बिहार पुनर्गठन अधिनियम, 200 की धारा-73 से आच्छादित सरकारी कर्मियों तथा उनके संतानों को आरक्षण का लाभ अनुमान्य होगा, साथ ही सेवानिवृत हो चुके कर्मियों के संतानों को भी यह लाभ मिलेगा।
इससे पहले झारखंड में आरक्षण का लाभ सिर्फ उन्हें मिला था जो झारखंड के मूल निवासी है या फिर बिहार से अलग होने के वक्त में झारखंड के सरकारी विभाग में कार्यरत बिहार निवासी रहे हों। विभाग ने 25 फरवरी 2019 को निकाली गई अधिसूचना को संशोधित कर यह नई अधिसूचना जारी की है। अब झारखंड बनने से पहले और बिहार से आए आरक्षित कैटगरी के कर्मचारियों के संतानों को भी लाभ देने का फैसला किया गया है।