दरअसल, लोकसभा चुनाव के नतीजों से माना जा रहा था कि भाजपा कमजोर हो गई है। इसका नुकसान हरियाणा के साथ अन्य राज्यों के विधानसभा चुनावों में होगा। लोकसभा चुनाव के बाद विधानसभा चुनाव के पहले चरण में हरियाणा जीत कर भाजपा ने बता दिया है कि वह बेहद ही सिस्टेमेटिक तरीके से चुनाव लड़ रही है। उसको कमजोर मानने की गलती प्रतिद्वंद्वियों को भारी पड़ सकती है।
हरियाणा में चुनाव से पहले चुनाव प्रभारियों को नियुक्त कर उनसे लगातार फील्ड में काम करवाया गया। इसी तरह झारखंड की जिम्मेदारी कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और असम के मुख्यमंत्री हेमंत विश्व सरमा को दी हुई है। इन दोनों नेताओं ने पिछले दिनों दौरे कर भाजपा का एनआरसी, बांग्लादेशी घुसपैठियों से आदिवासियों के नुकसान का एजेंडा सेट करना शुरू कर दिया है।
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वहीं महाराष्ट्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दौरे हो चुके हैं। जबकि चुनाव को लेकर इंडिया ब्लॉक की तैयारी अधिक नहीं दिख रही है। इंडिया ब्लॉक का जोर रणनीति बनाने से ज्यादा सीट बंटवारे पर फोकस है। इसके चलते जनता के बीच खुद के एजेंडे को धारदार तरीके से नहीं रख पा रहे हैं।
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