हरियाणा में भाजपा को चार माह पहले हुए लोकसभा चुनाव में झटका लगा था जब उसे 10 में से केवल पांच सीट मिली। लोकसभा चुनाव में पांच सीटें जीतने से कांग्रेस को वापसी की उम्मीद बंधी है। दोनों ही दल बागियों के खड़े होने से बिगड़े समीकरणों से जूझ रहे हैं। कुछ सीटों पर बागी मजबूत भी दिख रहे हैं। प्रदेश की सभी 90 सीटों पर पांच अक्टूबर को होने वाले चुनाव के लिए चौपालों-पंचायतों व मंडियों में प्रचार चरम पर है लेकिन सड़क पर चुनाव प्रचार का शोर शराबा नहीं दिखता।
भाजपा: दलित वोटों को लुभाने के लिए उभार रही शैलजा की असंतुष्टि का मुद्दा
भाजपा ने गैर जाट सियासत को आगे बढ़ाते हुए ओबीसी को अपने साथ रखने की रणनीति अपनाई है। जाटों के टिकट 20 से घटाकर 16 किए गए। गैर-जाट मतदाताओं में भाजपा का यह नरेटिव सफल भी दिख रहा है। रोहतक क्षेत्र के कलानौर विधानसभा मुख्यालय के अरूण अरोड़ा का कहना है कि इस क्षेत्र में पंजाबी काफी संख्या में है। भले ही भाजपा ने ज्यादा अच्छे काम नहीं किए, लेकिन अपने अस्तित्व को बचाने के लिए उसके साथ जाना ही पड़ेगा। भाजपा दलितों वोटों में सेंधमारी करने के लिए कांग्रेस दिग्गज कुमारी शैलजा के अपमान करने के मुद्दे को काफी उभार रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह भी अपनी चुनावी सभाओं में कांग्रेस में आंतरिक फूट के मुद्दे को हवा दे रहे हैं। फिलहाल रोहतक बैल्ट में जमीन पर इसका असर नहीं दिखता लेकिन अंबाला-कुरुक्षेत्र में यह असर डाल सकता है। हकीकत चुनाव परिणाम से ही सामने आएगी।कांग्रेस: मत विभाजन रोकने को सतर्क, आरक्षित सीटों पर अच्छे प्रदर्शन की आस
कांग्रेस ने 90 में से 28 सीटों पर जाट समाज के उम्मीदवार उतारे हैं। सरकार बनाने के लिए विधानसभा की इन एक तिहाई सीटों के साथ अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 17 सीटों पर कांग्रेस पूरा जोर लगाए हुए है। लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र हुड्डा और कांग्रेस महासचिव कुमारी शैलजा के बीच खाई से नुकसान की आशंका भी है। राष्ट्रीय नेताओं के प्रयास से राहुल गांधी की सभा में हुड्डा और शैलजा मंच पर साथ दिखे हैं लेकिन इसका जमीनी स्तर पर असर का आंकलन आसान नहीं है। पार्टी जजपा-आसपा और इनेलो-बसपा गठबंधन द्वारा जाट व दलित मतों का विभाजन रोकने के प्रति सतर्क है वहीं उसे 100 गज का फ्री प्लॉट और पुरानी पेंशन योजना जैसी घोषणाओं से गैरजाट वोटों के समर्थन की भी उम्मीद है। यह भी पढ़ें
Air Train: देश में पहली बार दौड़ेगी एयर ट्रेन, फ्री में सफर कर सकेंगे यात्री, जानिए कहां से कहां तक चलेगी
चौटाला परिवार: अस्तित्व बचाने की लड़ाई
कभी राज्य में चौटाला परिवार की तूती बोलती थी, वहीं इस बार यह परिवार अपने अस्तित्व को बचाने के लिए मैदान में खड़ा है। अभय चौटाला की अगुवाई में आईएनएलडी और उनके भतीजे दुष्यंत चौटाला जेजेपी के साथ चुनावी मैदान में है। चाचा-भतीजे की राहें अलग-अलग है। जहां आईएनएलडी ने बसपा से गठजोड़ किया है तो जेजेपी का आजाद समाज पार्टी कांशीराम से गठबंधन है। ये दल ज्यादा सीटें जीतने में भले ही कामयाब नहीं हों लेकिन कांग्रेस-भाजपा के समीकरण बिगाड़ सकते हैं। यह भी पढ़ें
Diwali-Chhath के लिए चलाई जाएंगी दर्जनों Special Trains, 1 करोड़ यात्रियों को मिलेगी सुविधा, जानिए रूट और टाइम टेबल
आप: नई राह की तलाश
दिल्ली के बाद पंजाब और अब हरियाणा में आप अपनी राहे तलाश रही है। कांग्रेस से गठबंधन नहीं होने पर आप ने 88 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए हैं। आप को दिल्ली सीमा से सटी सीटों पर अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद है।प्रमुख जातियों का गणित
जाति- मतदाता (करीब प्रतिशत)जाट-25-30
दलित-21
पंजाबी-8
ब्राह्मण-8
अहीर-5.25
वैश्य-5
राजपूत-3.50
सैनी-3
मुस्लिम-4