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High Court ने पत्नी को कोमा पीड़ित पति का संरक्षक बनाया, वाइफ को हर तीन महीने में कोर्ट में पेश करनी होगी ये रिपोर्ट

Gujarat High Court ने पत्नी को शर्तों के साथ संपत्ति प्रबंधन की अनुमति है क्योंकि कोमा में चल रहे पति फिलहाल निर्णय लेने में सक्षम नहीं है।

अहमदाबादJul 27, 2024 / 12:31 pm

स्वतंत्र मिश्र

Gujarat High Court

Gujarat High Court: गुजरात हाईकोर्ट ने पांच साल से कोमा में चल रहे एक मरीज की पत्नी को उसका संरक्षक नियुक्त करने और पति के इलाज के लिए उसकी चल-अचल संपत्ति के प्रबंधन की अनुमति दी है। कोर्ट ने व्यक्ति को कोमा में रहने तक यह अनुमति दी है और संपत्ति प्रबंधन के बारे में कुछ शर्तें भी लगाई हैं। जस्टिस संगीता के. विसेन ने कोमा पीड़ित करणसिंह डोडिया की पत्नी अंजूबेन की याचिका पर यह आदेश दिया।

मरीज की सही ढंग से हो तीमारदारी इसलिए पत्नी को…

कोर्ट का यह फैसला इस लिहाज से महत्वपूर्ण है कि मौजूदा कानूनों में कोमा से पीड़ित व्यक्ति का संरक्षक नियुक्त किए जाने का प्रावधान नहीं है। कोर्ट ने 2019 से कोमा में चल रहे करणसिंह डोडिया की मेडिकल रिपोर्ट को आधार बनाया। कोर्ट ने कहा कि मरीज खुद की देखभाल करने या कोई भी निर्णय लेने में सक्षम नहीं है।

मरीज की सही देखभाल के लिए नियुक्त होंगे अधिकारी

अपने आदेश में कोर्ट ने पत्नी को संरक्षक घोषित करते हुए कहा कि उसे हर तीन महीने में हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार को रिपोर्ट पेश कर संपत्तियों के बारे में किए गए लेन-देन, प्राप्त धन और इसे रोगी के भरण-पोषण के लिए उसके उपयोग का विवरण देना होगा। साथ ही राज्य सरकार की ओर से नियुक्त अधिकारी यह नजर रखेगा कि मरीज की सही देखभाल हो रही है या नहीं?

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