जीएसटी रेट में बढ़ोतरी के बाद यह सवाल उठ रहा है कि आटा-दाल, चावल को महंगा कर सरकार जब गरीब और मध्यम वर्ग की कमर तोड़ रही है तो हीरा और सोना जैसे कीमती चीजों पर जीएसटी कम कर अमीरों पर रहम क्यों कर रही है? सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को लेकर लोग तरह-तरह के सवाल उठा रहे हैं। कई लोगों ने सरकार के इस फैसले की आलोचना भी की है।
होटल में रुकना भी हुआ महंगा, दरें आज से लागू-
बताते चले कि चंडीगढ़ में हुई जीएसटी की 47वीं बैठक में प्री-पैक फूड आइटम के अलावा 1000 रुपए से अधिक के होटल कमरे में रहने पर 12 प्रतिशत जीएसटी देना पड़ेगा। अस्पतालों में इलाज करना भी महंगा हो गया है। सरकार ने इन वस्तुओं पर वस्तु एवं सेवा कर (GST) की दरों में बढ़ोतरी की है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में जीएसटी परिषद ने जून के आखिरी सप्ताह में बैठक में यह फैसला किया था। नई दरें आज यानी 18 जुलाई से लागू हो गई है।
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स्टेशनरी के सामानों पर भी बढ़ाई गई जीएसटी-
प्री पैक फूड आइटम के अलावा स्टेशनरी के सामान जैसे ब्लेड, पेपर कैंची, पेंसिल शार्पनर, चम्मच, कांटे वाले चम्मच, स्किमर्स और केक-सर्वर्स आदि महंगे हो गए है। सोलर वॉटर हीटर पर 5 से बढ़ाकर 12 फीसदी कर दिया है। एलईडी लाइट्स और लैंप प GST GST 12 से बढ़ाकर 18 फीसदी कर दिया है। ये सभी वैसे सामान है, जिसका उपयोग सामान्य परिवार के लोग करते हैं। लेकिन हीरा-सोना जैसे कीमती सामान जिसे अमीर खरीदते हैं, उसपर जीएसटी की दर कम रखी गई है।
हाई टैक्स, कोई नौकरी नहीं राहुल गांधी ने कसा तंज-
गौरतलब हो कि हीरे पर जीएसटी 1.5 प्रतिशत है। जबकि सोने पर सेंट्रल जीएसटी 1.5 और स्टेट जीएसटी 1.5 प्रतिशत है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी, शशि थरूर सहित अन्य नेताओं ने इस फैसले को लेकर सरकार की आलोचना की है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने जीएसटी की दरों में इजाफे के कारण महंगी होने वाली वस्तुओं की एक लिस्ट पर साझा करते हुए टैक्स को “गब्बर सिंह टैक्स” के रूप में संदर्भित किया। राहुल गांधी ने लिखा, ”हाई टैक्स, कोई नौकरी नहीं। दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक को कैसे नष्ट किया जाए, इस पर बीजेपी का मास्टरक्लास”।
लोगों की कमाई को महंगाई खा जाएगीः शशि थरूर-
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने सरकार के इस कदम को गैर-जिम्मेदाराना” बताते हुए आलोचना की है। उन्होंने कहा है कि “ज्यादातर भारतीयों के लिए बढ़ती आर्थिक कठिनाइयों के समय में यह जीएसटी दर वृद्धि बहुत ही गैर-जिम्मेदाराना है। आम आदमी बोझ का खामियाजा भुगतेगा, लोगों की कमाई को महंगाई खा जाएगी। इसके साथ ही उन्होंने पूछा है कि क्या यह सरकार मानती है कि वह कुछ भी कर सकती है?