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विकास बनाम महंगाईः देश की अर्थव्यवस्था में तेज वृद्धि के बावजूद महंगाई बनी चुनौती

बीते पांच सालों के आंकड़ों का विश्लेषण करने से यह पता चलता है प्रतिव्यक्ति आय में औसत 56 फीसदी की वृद्धि हुई है। लेकिन इसी दौरान रोजमर्रा के सामान काफी महंगे होने से आम आदमी को राहत नहीं मिली है।

Nov 28, 2023 / 07:34 am

Shaitan Prajapat

देश की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है और हम विश्व की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर हैं। प्रति व्यक्ति आय और सकल घरेलू उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इसके बावजूद महंगाई पर काबू पाना एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। पिछले पांच सालों के आंकड़ों का विश्लेषण करने से यह पता चलता है प्रतिव्यक्ति आय में औसत 56 फीसदी की वृद्धि हुई है। लेकिन इसी अवधि में रोजमर्रा के सामान काफी महंगे होने से आम आदमी को जितनी राहत मिलनी चाहिए थी, नहीं मिली है। खाद्य पदार्थों की कीमतों में 123 फीसदी तक बढ़ोतरी देखी जा सकती है। यही हाल मेडिकल बिलों का है, जिस पर प्रति व्यक्ति आय का करीब 10 फीसदी हिस्सा खर्च हो रहा है। ऐसी स्थिति में ‘सखी सइयां तो खूब ही कमात है पर महंगाई डायन खाए जात है’ गीत की पंक्तियां सही साबित हो रही हैं।


आटा-चावल-दाल की कीमतें काफी बढ़ी

पिछले पांच सालों में आटा-चावल-दाल की कीमतें काफी बढ़ी हैं। चावल का औसत भाव 29.68 रुपए से बढ़कर 43.49 रुपए हो चुका है। दाल की कीमतों में 123 फीसदी तक की बढोतरी हुई है। अरहर दाल 70.54 रुपए से बढ़कर 257.80 रुपए तक पहुंच गया है। सरसों तेल (पैक) की कीमत पिछले पांच सालों में 105.55 रुपए से बढ़कर 137.48 रुपए तक पहुंच गया है। यही हाल दूध, चीनी और चायपत्तियों का भी है। चीनी में 15.16 फीसदी, दूध में 34.61 फीसदी और खुली चायपत्तियों में औसतन 30.44 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। नमक भी करीब 50 फीसदी महंगा होकर 15.36 रुपए से 22.98 रुपए तक पहुंच गया है।


पांच साल में आय 56 फीसदी और महंगाई 123 फीसदी तक

ऐसे बढ़ी प्रति व्यक्ति आय
2018-19 1,26,406
2019-20 1,35,050
2020-21 1,27,065
2021-22 1,48,524
2022-23 1,72,000
2023-24* 1,97,000
(प्रति व्यक्ति सालाना आय रुपए में, *अनुमानित)

इतनी बड़ी हो गई अर्थव्यवस्था

वर्ष जीडीपी बढ़ोतरी
2018 2.70 1.94 1.94 फीसदी
2019 2.83 4.91 4.91 फीसदी
2020 2.67 – 5.78 -5.78 फीसदी
2021 3.15 17.92 17.92 फीसदी
2022 3.38 7.45 7.45 फीसदी
2023 4.0 18,16 18.16 फीसदी
(आंकड़े ट्रिलियन डॉलर में)
ग्लोबल मंदी से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्रभावित
वर्ष एफडीआई
2018-19 62
2019-20 74.39
2020-21 81.97
2021-22 83.57
2022-23 70.97
2023-24* 20.5
(राशि अरब डॉलर में, *2023-24 में अप्रेल से सितंबर तक के आंकड़े)
(वैश्विक आर्थिक मंदी से 2022-23 से अब तक एफडीआइ में सुस्ती)

खाद्य पदार्थों में महंगाई
पदार्थ फीसदी बढोतरी
चावल- 46.53
गेंहूं- 38
गेंहूं का आटा- 43
अरहर दाल- 123.67
चना दाल- 27.40
उड़द दाल- 76.66
मुंग दाल- 56.04
मसूर दाल- 54.55

तेलों ने निकाला तेल
तेल फीसदी बढोतरी
सरसों तेल (पैक)- 31.19
वनस्पति तेल- 53.57
सूरजमुखी तेल- 31
सोया तेल- 35.29
पाम ऑयल- 32.27
प्याज-टमाटर ने रुलाया
सब्जियां – फीसदी बढोतरी
आलू- 13.68
प्याज – 166.11
टमाटर – 75.24

इलाज एशिया में सबसे महंगा
भारत में मेडिकल खर्च तेजी से बढा है। मेडिकल मुद्रास्फीति एशिया में सबसे ज्यादा 14 फीसदी की ऊंचाई पर पहुंच गई है। मेडिकल मुद्रास्फीति में तेज वृद्धिदर का असर देश में करीब नौ करोड़ लोगों पर पड़ रहा है जिनकी आमदनी का 10 फीसदी हिस्सा इलाज पर खर्च हो रहा है।

बढ़ती अर्थव्यवस्था की झलक
हवाई यात्रियों की संख्या बढ़ी
– हवाई सुविधाओं में तेजी से विकास हुआ है। विमान यात्रियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। 23 नवंबर 2023 को 4 लाख 63 हजार 417 घरेलू यात्री ने हवाई सफर किया है, यह अब तक का सबसे अधिक है।

ग्रीन एनर्जी में उपलब्धि
– ग्रीन एनर्जीः रूफ टॉप सोलर एनर्जी के क्षेत्र में भारत में तेज प्रगति का असर दिखने लगा है। अगले दो साल सोलर टॉप रूफ एनर्जी की क्षमता 4 गीगा वाट तक पहुंचने की उम्मीद की जा रही है।

आइटी क्षेत्र में तेज वृद्धि
– अनुमान है कि देश का आइटी बाजार मूल्य 2027 तक 104 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा। आइटी हार्डवेयर बाजार का मूल्य कुल आइटी बाजार का प्रमुख हिस्सा बना रहेगा।

रेकॉर्ड दुग्ध उत्पादन
– वर्ष 2022-23 के दौरान देश में रेकॉर्ड दुग्ध उत्पादन का (23.05 करोड़ टन) अनुमान है। इस क्षेत्र में पिछले पांच वर्षों में 22.81 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है।

 

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